नाहन (सिरमौर). उत्तराखंड की सीमा के साथ लगते आसन कंजरवेशन रिजर्व में विश्व नम भूमि दिवस मनाया गया. इस मौके पर आसन कंजरवेशन रिजर्व में पक्षी प्रेमियों जमावड़ा लगा रहा. हर वर्ष की तरह 2 फरवरी को यहां विश्व नम भूमि दिवस मनाया जाता है. वन विभाग के तत्वावधान में बर्ड वाचिंग के साथ ही कई तरह की प्रतियोगिताएं भी आयोजित करवाई जाती है.
कलेंडर और पोस्टरों के माध्यम से लोगों को जैव विविधिता में पक्षियों की उपयोगिता को समझने का प्रयास किया जाता है. पांवटा साहिब से मात्र 4 किलोमीटर की दूरी पर आसन कंजरवेशन रिजर्व है. वर्ष 2005 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने राष्ट्र को समर्पित किया था.
आसन कंजरवेशन रिजर्व भारत का पहला वेटलैंड कंजरवेशन रिजर्व है. 440.44 हेक्टेयर पर फैले आसन वेटलैंड में हर साल सैकड़ों की संख्या में विदेशी परिदें 2000 किमी से भी अधिक की दूरी तय कर प्रवास पर पहुंचते हैं. अक्टूबर से मार्च तक आसन झील ही इन परिदों का आशियाना होता है. उत्तराखंड वन विभाग के तत्वावधान में बर्ड वाचिंग का आयोजन किया गया. जिसमें पक्षी विशेषज्ञों के साथ ही कई स्कूली छात्र -छात्राओं ने भी भाग लिया.
वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष आसन वेट लैंड में 61 प्रजातियों के करीब 6008 परिदें प्रवास पर पहुंचे हैं. गत पांच वर्षो की अपेक्षा इस बार विदेशी परिंदो की संख्या में इज़ाफ़ा हुआ है. वन बीट अधिकारी प्रदीप सक्सेना ने बताया कि इस बार मौसम ज्यादा ठंडा नहीं था इसलिए इन विदेशी परिंदों की वतन वापसी जल्द होने की संभावनाएं है.