शिमला. विधानसभा चुनाव के दौरान 29 न्यूज को “पेड न्यूज” घोषित किया गया है. वहीं कुछ और मामलों में जांच जारी है, संख्या बढ़ने की उम्मीद है.
क्या होती है पैड न्यूज?
प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) द्वारा “पेड न्यूज” को किसी भी मीडिया (प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक) में नकद या वस्तु के मूल्य के लिए प्रतिफल के रूप में प्रदर्शित होने वाले किसी भी समाचार या विश्लेषण के रूप में परिभाषित किया गया है. भारत का चुनाव आयोग (ईसीआई) इस परिभाषा से जाता है.
जिला मीडिया प्रमाणन और निगरानी समितियों (MCMC) ने 11 नवंबर तक संकलित रिपोर्ट के अनुसार “पेड न्यूज” के 61 मामले देखे. 37 मामलों में, रिटर्निंग ऑफिसर्स (ROs) ने उन उम्मीदवारों को नोटिस जारी किए हैं, जिनके नाम एमसीएमसी द्वारा अपडेट नहीं किए गए हैं. उम्मीदवारों ने 14 मामलों में समाचारों पर पैसे खर्च करने की बात कबूली है, जबकि 13 मामलों में कोई जवाब नहीं दिया.
29 पुख्ता मामले
29 कनफर्म्ड केसेस में से 24 अकेले सोलन जिले के हैं जबकि तीन केस शिमला और दो केस बिलासपुर के हैं. सितंबर 2022 में जारी ECI के ‘कॉम्पेंडियम ऑफ इंस्ट्रक्शन्स ऑन इलेक्शन एक्स्पेन्डीचर मोनिट्रिंग’ के अनुसार, मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट या आचार संहिता के तहत को प्रत्येक उम्मीदवार पर उसके द्वारा चुनाव संबंधी विज्ञापनों पर किए गए खर्च के संबंध में एक दैनिक रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होती है. पेड न्यूज, सपोर्टिव पेपर कटिंग/क्लिपिंग, रिकॉर्डिंग के साथ प्रासंगिक टीवी और रेडियो विज्ञापनों की संख्या, जिसे शैडो ऑब्जरवेशन रजिस्टर में भी शामिल किया जाएगा”.
दिशानिर्देशों के अनुसार, खर्च को लेकर तैनात किए गए आब्जर्वर के परामर्श से “पेड न्यूज” की घटनाओं के संबंध में निर्वाचन अधिकारी ऐसे पब्लिकेशन पर खर्च नहीं दिखाने के लिए उम्मीदवार को नोटिस जारी करता है. एक्सपेंडिचर आब्जर्वर 24 घंटे के भीतर “पेड न्यूज” की रिपोर्ट की एक कॉपी के साथ चुनाव आयोग को भेजता है.
मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) को राज्य विधानसभा की समाप्ति की नियत तिथि से पहले राज्य के टीवी चैनलों, रेडियो चैनलों और समाचार पत्रों से एक स्टैण्डर्ड रेट कार्ड प्राप्त करना होता है. ऐसे रेट कार्ड विज्ञापनों की दरों की गिनती के लिए एक लेखा टीम को दिए जाएंगे. लेखा टीम डीएवीपी/डीआईपीआर रेट पर शामिल खर्चों की गिनती करती है और शैडो ऑब्जरवेशन रजिस्टर में इसका उल्लेख करेगी.
एक्सपेंडिचर आब्जर्वर के समय उम्मीदवार या उसके चुनाव एजेंट के ध्यान में ऐसी विसंगतियों को लाएगा और उम्मीदवार के चुनाव खर्च रजिस्टर के टिप्पणी कॉलम में “पेड न्यूज” के कारण खर्च में विसंगतियों का उल्लेख करेगा.
2017 के हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों के दौरान, कुल 85 समाचारों को “पेड न्यूज” घोषित किया गया था, जिसकी कीमत उम्मीदवारों के खर्च में जोड़ दी गई थी.
पूर्व हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष और भाजपा नेता राजीव बिंदल के मामले में, तीन “पेड न्यूज” आइटम थे, पूर्व कांग्रेस मंत्री सुधीर शर्मा के पास दो और भाजपा नेता राकेश पठानिया और विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री के पास एक-एक था।.
अकेले सोलन से पेड न्यूज के 62 मामले सामने आए हैं, इनमें 13 “पेड न्यूज” कांग्रेस के राम कुमार चौधरी के पक्ष में और 25 हरदीप सिंह बावा के पक्ष में थे, जो नालागढ़ सीट से निर्दलीय चुनाव लड़े रहे थे.इस साल विधानसभा चुनाव 2022 में बावा कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर मैदान में हैं.
2012 के हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों में, 86 “पेड न्यूज” मामले थे, जिनमें मंडी से 28, कुल्लू से 15 और हमीरपुर से 12 मामले शामिल थे.कांग्रेस के सुंदर सिंह के 11, भाजपा के राकेश जम्वाल के छह, कांग्रेस के पूर्व मंत्री राम लाल ठाकुर के दो और कांग्रेस के सुखविंदर सिंह सुक्खू, भाजपा के राजीव बिंदल, कांग्रेस के धनी राम शांडिल और भाजपा के विपिन परमार के खिलाफ एक-एक मामला था.
अधिकांश समाचार राष्ट्रीय और क्षेत्रीय हिंदी दैनिकों में प्रकाशित किए गए थे.2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान, “पेड न्यूज” के तीन मामले थे और 2014 के लोकसभा चुनावों में 20 मामले थे, जिनमें 13 भाजपा के शांता कुमार, पांच कांग्रेस के चंदर कुमार और तीन वर्तमान केंद्रीय मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर से संबंधित थे.