नई दिल्ली. कुपोषण की वजह से झारखंड के एक सरकारी अस्पताल में एक महीने में 52 नवजात शिशुओं की मौत हो गई. ये दर्दनाक घटना जमशेदपुर के महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज की है. देश में बच्चे कितने सुरक्षित हैं इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि पूरे भारत में 35% बच्चे कुपोषित हैं जिसमें झारखंड का स्थान पहला है. यहां लगभग 48% बच्चे कुपोषण का शिकार हैं.
कमोबेश राज्य के सभी जिलों में बच्चों की कुपोषण से मौत होना बेहद सामान्य है. खासकर आदिवासी बहुल इलाकों में स्थिति बहुत गंभीर है. अस्पताल निरीक्षक के मुताबिक सभी नवजात शिशुओं की मौत कुपोषण की वजह से हुई है.
झारखंड की हालत इतनी खराब है कि मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कुपोषण से लड़ने के लिए साल 2015 में न्युट्रिशन मिशन झारखंड योजना की घोषणा की थी. इस मिशन के तहत सरकार ने राज्य के सभी आंगनवाड़ी केन्द्रों में बच्चों के मिडडे मील में अंडे देने की घोषणा की थी.
इससे पहले की सरकारों ने भी कुपोषण से लड़ने के लिए कई योजनाएं निकाली थी, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है. खस्ताहाल सरकारी तंत्र की वजह से राज्य में नवजात शिशु कुपोषण से लगातार मर रहे हैं.