नई दिल्ली. भारत में सड़कें सबसे संवेदनशील उपयोगकर्ताओं के लिए लगातार खतरनाक होती जा रही हैं। राष्ट्रीय डेटा विश्लेषण के अनुसार, 2014 से 2023 तक सड़क हादसों में मौतें 24% बढ़कर लगभग 1,73,000 हो गईं। लेकिन पैदल चलने वालों की मौतें लगभग तीन गुना बढ़ीं, दो-पहिया सवारों की मौतें लगभग दोगुनी हुईं और साइकिल चालकों की मौतें 13% बढ़ीं।
विशेष रूप से, दो-पहिया वाहन से होने वाली मौतें 2014 में कुल मौतों का 30% थीं, जो 2023 तक बढ़कर 45% हो गईं। 2014 में हर घंटे औसतन 5 दो-पहिया सवारों की मौत होती थी, जो 2023 में बढ़कर 9 प्रति घंटे हो गई। वहीं, कार, जीप, ट्रक, बस और ऑटो जैसी अन्य श्रेणियों में मौतें 2014 की तुलना में कम हुईं।
मुख्य कारण: संख्या, हेलमेट और स्पीड
दो-पहिया मौतों में वृद्धि के तीन मुख्य कारण हैं:
दो-पहिया वाहनों की संख्या में वृद्धि: 2022 में भारत में पंजीकृत वाहनों में 74% दो-पहिया वाहन थे।
हेलमेट का अपर्याप्त उपयोग: अधिकतर लोग ISI मार्केड हेलमेट का सही इस्तेमाल नहीं करते।
अत्यधिक गति (Overspeeding): 40-50 किमी/घंटा से अधिक की गति पर दुर्घटना घातक साबित हो सकती है।
सार्वजनिक परिवहन की कमी और निजी वाहनों का बढ़ता उपयोग
भारत में बढ़ती आय और अपर्याप्त सार्वजनिक परिवहन के कारण लोग दो-पहिया और चार-पहिया वाहनों पर निर्भर हैं। 2014 से 2022 तक पंजीकृत दो-पहिया वाहनों की संख्या 139 मिलियन से बढ़कर 263 मिलियन हो गई।
ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में सार्वजनिक परिवहन की कमी के कारण लाखों लोग रोजमर्रा की यात्रा के लिए दो-पहिया पर निर्भर हैं, जिससे सड़क पर सुरक्षा जोखिम बढ़ रहे हैं।
विशेष रूप से बच्चों और ऑनलाइन डिलीवरी कर्मचारियों के लिए दो-पहिया सवारी बढ़ी है। ऐसे ड्राइवर समय सीमा पूरा करने के लिए जोखिम भरे ड्राइविंग व्यवहार अपनाते हैं।
ग्रामीण भारत में हादसों का केंद्र
ग्रामीण भारत में सड़क हादसों और मौतों की संख्या अधिक है। 2023 में सड़क दुर्घटनाओं में 69% मौतें ग्रामीण क्षेत्रों में हुईं, जो 10 साल पहले 59% थी।
ग्रामीण क्षेत्रों में तेज़ गति, हेलमेट अनुपालन की कमी, कमजोर कानून प्रवर्तन और आपातकालीन चिकित्सा सेवा की कमी दुर्घटनाओं के प्रमुख कारण हैं।
सुरक्षा नियमों और हेलमेट अनुपालन में कमी
2023 में लगभग 75,000 दो-पहिया सवारों में से 73% ने हेलमेट नहीं पहना था। Geetam Tiwari के अनुसार, केवल सही तरीके से पहना हुआ उच्च गुणवत्ता वाला हेलमेट ही दो-पहिया सवार को सुरक्षा प्रदान करता है।
इसके अलावा, 10% दुर्घटनाओं में ड्राइवर के पास वैध लाइसेंस नहीं था या केवल लर्नर लाइसेंस था। वर्तमान लाइसेंस प्रणाली में प्रशिक्षण और रोड सेफ्टी को पर्याप्त महत्व नहीं दिया जाता।
अत्यधिक स्पीड और सड़क डिजाइन
2023 में 66% मौतें सीधे हाईवे पर हुईं, जहां गति अधिक होती है। 68% मौतों में अत्यधिक गति प्रमुख कारण थी। सड़क सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, स्कूलों के पास सड़क डिजाइन, नली आकार, स्पीड हंप और टेक्सचर जैसी विशेषताएँ लागू कर गति नियंत्रण आवश्यक है।
सुरक्षित भविष्य के लिए कदम
सड़क हादसों की सटीक और उपयोगी डेटा रिपोर्टिंग की आवश्यकता। हेलमेट और लाइसेंस नियमों का कड़ाई से पालन। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के लिए अलग-अलग सुरक्षा रणनीतियां। शिक्षा और प्रशिक्षण के माध्यम से दो-पहिया सवारों की जागरूकता बढ़ाना। विशेषज्ञों के अनुसार, अगर सड़क दुर्घटनाओं को 50% कम किया जाए और लगातार 24 साल तक ऐसा किया जाए, तो इससे भारत की अर्थव्यवस्था पर 14% का अतिरिक्त लाभ हो सकता है।
