हमीरपुर (भोरंज). जिला हमीरपुर के दुर्गम क्षेत्र कभी भी आग की चपेट में आ सकते हैं. मुख्यालय को छोड़ किसी भी दूसरे ब्लॉक में चौकी नहीं है. दिवाली के नजदीक आते ही आगजनी की घटनाएं होना आम बात है. गांव में घरों के पास ही घास व लकड़ी रखी होती है. अगर कोई घटना घट जाए तो समय रहते कोई सहायता नहीं मिल पायेगी. जब तक दूरदराज के क्षेत्रों में दमकल विभाग की गाड़ी पहुंचती है, तब तक सब राख हो चुका होता है.
हमीरपुर अग्निशमन केंद्र के तहत सात हाइड्रेंट स्थापित हैं. इनसे विभाग की गाडि़यों में पानी भरा जाता है. सुजानपुर व नादौन ब्लॉक में 11-11 हाइड्रेंट स्थापित हैं, मगर सही हालत में एक भी नहीं है. उपमंडल भोरंज, बड़सर व नादौन में अग्निशमन केंद्र की चौकियों का निर्माण ठंडे बस्ते में है. भोरंज मे जमीन चिन्हित न होने से अग्निशमन चौकी का निर्माण का मामला लंबे समय से लटका हुआ है. सरकार की अनदेखी और लचर व्यवस्था के चलते हर वर्ष करोड़ों रुपए की संपदा राख हो रही है.
2015 में हुई थी घटना
बताते चलें कि वर्ष, 2015 में आगजनी की 96 घटनाएं हुई थीं. इसमें 86 लाख 96 हजार 900 रुपए की संपत्ति स्वाहा हो गई. हालांकि अग्निशमन केंद्र ने नौ करोड़ 40 हजार की संपदा राख होने से बचाई है. वहीं, 2016 में आगजनी की 143 घटनाएं हो चुकी हैं. इनमें एक करोड़ 49 लाख 94 हजार 800 रुपए का नुकसान हुआ है. वहीं, 13 करोड़ नौ लाख 60 हजार की संपदा बचा ली गई है.
अगर भोरंज की बात करें तो यहां होने वाली आगजनी की घटनाओं में नुकसान कहीं ज्यादा होता है. हमीरपुर से जब तक विभाग की गाड़ी पहुंचती है, सब कुछ राख हो चुका होता है. ऐसे में भोरंज में अग्निशमन केंद्र खुलने की मांग लगातार जोर पकड़ रही है.