नई दिल्ली. भारत की लगभग आधी आबादी की आजीविका कृषि पर निर्भर है और यह देश की GDP में करीब 18% योगदान देती है। ऐसे में किसानों की क्षमता बढ़ाने और खेती को आधुनिक बनाने के लिए कृषि शिक्षा, अनुसंधान और प्रशिक्षण बेहद जरूरी हैं। यही तीन स्तंभ Education, Research और Extension मिलकर भारत के “विकसित कृषि और समृद्ध किसान” (Viksit Krishi aur Samruddh Kisan) के विज़न को आगे बढ़ा रहे हैं।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR): देश का सबसे बड़ा कृषि संस्थान नेटवर्क
1929 में स्थापित ICAR (Indian Council of Agricultural Research), कृषि अनुसंधान और उच्च शिक्षा का सर्वोच्च निकाय है। यह संगठन कृषि, बागवानी, पशुपालन और मत्स्य पालन जैसे क्षेत्रों में अनुसंधान और शिक्षा का मार्गदर्शन करता है।
देशभर में ICAR के तहत —
113 राष्ट्रीय अनुसंधान संस्थान
74 कृषि विश्वविद्यालय
731 कृषि विज्ञान केंद्र (KVKs) काम कर रहे हैं।
इन्हीं केंद्रों के माध्यम से किसानों तक नई तकनीकें और योजनाएं पहुंचाई जाती हैं। ICAR ने ही भारत की हरित क्रांति (Green Revolution) को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई थी।
कृषि विश्वविद्यालयों का नेटवर्क
भारत में फिलहाल —
63 राज्य कृषि विश्वविद्यालय (SAUs)
3 केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय (CAUs) – पूसा (बिहार), इम्फाल (मणिपुर), झांसी (उत्तर प्रदेश)
4 डीम्ड विश्वविद्यालय (IARI-Delhi, NDRI-Karnal, IVRI-Izatnagar, CIFE-Mumbai)
4 केंद्रीय विश्वविद्यालय जिनमें कृषि संकाय हैं
इसके अलावा, ICAR के अंतर्गत 11 कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (ATARI) भी कार्यरत हैं।
निजी संस्थानों की भूमिका
पिछले कुछ वर्षों में निजी कृषि कॉलेजों की संख्या बढ़ी है। 2020-21 में जहाँ सिर्फ 5 निजी कॉलेज ICAR से मान्यता प्राप्त थे, वहीं 2024-25 तक इनकी संख्या बढ़कर 22 हो गई है। ये संस्थान राज्य सरकारों की नीतियों के तहत कार्य करते हैं और ICAR से मान्यता प्राप्त करते हैं।
प्रमुख केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय
डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा (बिहार)
8 संकाय कॉलेज, 18 KVKs
कृषि, बागवानी, मत्स्य, खाद्य प्रौद्योगिकी और बायोटेक्नोलॉजी में डिग्री कोर्स
छोटे सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कोर्स भी चलाए जा रहे हैं
केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, इम्फाल (मणिपुर)
7 उत्तर-पूर्वी राज्यों की सेवा करता है
13 कॉलेज, 10 अंडरग्रेजुएट, 48 मास्टर और 34 पीएचडी कोर्स
लगभग 3000 छात्रों का नामांकन
रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झांसी (उत्तर प्रदेश)
कृषि, उद्यानिकी, पशु चिकित्सा और कृषि अभियांत्रिकी में शिक्षा
उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश दोनों में कॉलेज संचालित
कृषि में नई तकनीकें: IoT और AI का बढ़ता उपयोग
सरकार खेती में Internet of Things (IoT) और Artificial Intelligence (AI) जैसी तकनीकों को बढ़ावा दे रही है।
इसके जरिए —
सेंसर आधारित सिंचाई
ड्रोन से फसल की निगरानी
स्मार्ट ग्रीनहाउस
एआई आधारित रोग पहचान
उपज की भविष्यवाणी जैसे काम आसान हो गए हैं।
IIT रूपनगर, IIT बॉम्बे और IIT खड़गपुर जैसे संस्थान Agri-Tech Innovation Hubs चला रहे हैं जो खेती को डिजिटल बना रहे हैं।
किसानों के लिए प्रशिक्षण और कौशल विकास
किसानों को आधुनिक तकनीक और बाजार की समझ देने के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है, जैसे —
कृषि विज्ञान केंद्र (KVKs)
2021 से 2024 तक 58 लाख से ज्यादा किसानों को प्रशिक्षित किया गया।
ATMA योजना:
अब तक 1.27 करोड़ किसानों को प्रशिक्षण मिला।
STRY (ग्रामीण युवाओं का कौशल प्रशिक्षण)
2021 से अब तक 51,000 से ज्यादा युवाओं को कृषि आधारित रोजगार का प्रशिक्षण दिया गया।
SMAM (कृषि यंत्रीकरण उप मिशन)
57,000 किसानों को आधुनिक मशीनों के उपयोग का प्रशिक्षण मिला।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना
अब तक 25 करोड़ से अधिक किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किए जा चुके हैं।
FPOs (किसान उत्पादक संगठन)
10,000 से अधिक FPO बनाए गए हैं ताकि किसान एकजुट होकर कृषि व्यवसाय कर सकें।
भारत में कृषि शिक्षा और प्रशिक्षण अब केवल खेतों तक सीमित नहीं रह गया है — यह एक संपूर्ण ज्ञान, तकनीक और नवाचार प्रणाली बन चुका है।
ICAR और देशभर के विश्वविद्यालय मिलकर किसानों को तकनीकी, व्यावहारिक और उद्यमशीलता कौशल दे रहे हैं। नई तकनीकें जैसे AI, IoT और Precision Farming खेती को स्मार्ट और लाभकारी बना रही हैं। सरकारी योजनाओं के जरिये किसान अब न केवल आत्मनिर्भर हो रहे हैं, बल्कि खेती को एक प्रोफेशनल और इनोवेटिव सेक्टर के रूप में विकसित कर रहे हैं।
