राजस्थान के कुख्यात अपराधी आनंदपाल सिंह के एनकांउटर के 18 दिन बाद भी उसका अंतिम संस्कार नहीं हो पाया है. पुलिस और आनंदपाल के परिजनों के द्वारा बुधवार को हुई बातचीत में कोई भी नतीजा निकल का सामने नहीं आया. इसी बीच आनंदपाल के एनकांउटर की जाँच के मांग के लिए नागौर के सांवराद गांव में जुटे राजपूत समाज और पुलिस के बीच झड़प हो गई. इस दौरान पुलिस ने भीड़ पर काबू पाने के लिए रबर की गोलियां और आंसू गैस के गोले छोड़े. इस झड़प में 21 पुलिसकर्मी सहित सात अन्य लोग घायल हो गये. हालात को देखते हुए नागौर, चुरू, सीकर और बीकानेर में धारा 144 लागू कर दी गई है तथा इंटरनेट सेवाओं पर रोक लगा दी गई है.
आनंदपाल के एनकाउंटर के बाद से राजपूतों के द्वारा सरकार के खिलाफ लगातार विरोध प्रदर्शन जारी है. आनंदपाल के परिजनों का साथ देने के लिए सांवराद गांव में लगातार लोग जुट रहे हैं. इसी को देखते हुए इस इलाके में भारी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया है. गौरतलब है कि आनंदपाल के परिवार ने इस एनकाउंटर पर सवाल उठाते हुए सीबीआई जाँच की मांग कर रहे हैं. आनंदपाल के परिवारजनों का कहना है कि जब तक सरकार उनकी बात नहीं मान लेती, तब तक उसके शव का अंतिम संस्कार नहीं होगा. बता दें कि कुख्यात अपराधी आनंदपाल सिंह गत 24 जून को कथित पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था.
राज्य के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) एन आर के रेड्डी के अनुसार श्रीकरणी राजपूत सेना द्वारा आयोजित कार रैली में आए लोगों पर उस समय लाठीचार्ज करना पड़ा जब उत्तेजित प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव करना शुरू कर दिया.पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़कर भीड़ को तितर-बितर करने का प्रयास किया लेकिन वह हिंसा पर उतारू होने लगे, जिसके चलते पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा. आनंदपाल के गाँव में राजपूत करनी सेना के द्वारा हुंकार रैली और श्रधांजलि सभा में जुटे राजपूतों ने दिल्ली जोधपुर रेल मार्ग को क्षतिग्रस्त कर दिया. वहीं डेगाना-रतनगढ़ रेल पटरी पर कब्जा कर लिया. इस कारण दो ट्रेनों को रोकना पड़ा. नागौर-अजमेर राजमार्ग पर भी राजपूत समाज ने कब्जा कर रखा है.