राज्य के सरकारों के द्वारा किसानों के ऋण माफ़ किये जाने पर केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक बार फिर स्पष्ट तौर पर कहा है कि केंद्र सरकार किसानों का ऋण माफ़ नहीं करेगी. उनका कहना है कि सरकार कर्ज माफ़ करने के बजाय राजकोषीय घाटे को कम करने पर जोर देगी.
वित्त मंत्री का यह बयान ऐसे समय पर दिया जब पंजाब की राज्य सरकार ने दस लाख से अधिक किसानों के कर्जमाफी का ऐलान किया है. इससे पहले उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र की सरकार भी किसानों के कर्जमाफी का ऐलान कर चुकी है.
गौरतलब है कि आम बजट में सरकार ने 2017-18 में राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 3.2 प्रतिशत रखा था जो पिछले साल से 3.5 कम है. सरकार इस घाटे को लगातार कम कर के 2.5 प्रतिशत तक 2022-23 में लाना चाहती है.
किसानों की समस्या यह भी है कि फसल की पैदावार अधिक होने से उन्हें बाजार में उनके फसल का उचित दाम नहीं मिल पा रहा है. इस कारण भी किसान ऋण माफ़ करने की मांग कर रहे हैं. इस मुद्दे पर आरबीआई के गवर्नर का कहना है कि अगर किसान ऋण माफ़ी के राज्य अपना खजाना लूटाते रहेंगे तो महंगाई दर में बढ़ोतरी हो सकती है. राज्यों पर पहले से ही 4.5 लाख करोड़ का बोझ है और ऐसे में अगर वह कर्जमाफी करते हैं तो उनपर 27 लाख करोड़ का अतिरिक्त बोझ और पड़ सकता है.