नई दिल्ली. भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) Justice D.Y. Chandrachud की गैरमौजूदगी में CJI B.R. Gavai ने श्रीनगर में आयोजित NALSA Northern Regional Conference को संबोधित करते हुए एक बेहद अहम टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि बिना जानकारी के अधिकारों का कोई मूल्य नहीं। जब तक लोग अपने constitutional rights को नहीं समझते, तब तक वे इनका लाभ नहीं उठा सकते।
“जागरूकता के बिना कानूनी अधिकार अर्थहीन” – मुख्य न्यायाधीश गवई
CJI गवई ने कहा कि lawyers और judges की जिम्मेदारी है कि वे देश के अंतिम नागरिक तक justice delivery सुनिश्चित करें। उन्होंने जोर देकर कहा कि NALSA (National Legal Services Authority) देश के सबसे दूरस्थ इलाकों में भी न्याय पहुंचाने का प्रयास कर रही है—चाहे वह Ladakh, Northeast या Rajasthan ही क्यों न हो। हमारा प्रयास है कि हर व्यक्ति तक legal services पहुंचे, क्योंकि कानून तभी प्रभावी है जब नागरिकों को उसका ज्ञान हो।
“कश्मीर की गंगा-जमुनी तहज़ीब को फिर से ज़िंदा करना होगा”
CJI गवई ने अपने भाषण में कश्मीर की पुरानी सांस्कृतिक एकता की ओर इशारा करते हुए कहा कि एक समय था जब कश्मीर में हिंदू, मुस्लिम और सिख समुदाय मिल-जुल कर रहते थे। हमें उन सामाजिक विकृतियों को खत्म करना है जो इस सद्भाव को तोड़ती हैं। उन्होंने Judiciary-Bar dialogue को नए दृष्टिकोण और पुनर्निर्माण की दिशा में सहायक बताया।
“संविधान का मूल उद्देश्य: Political, Social and Economic Justice”
CJI गवई ने कहा कि भारतीय संविधान ने हमसे वादा किया है Justice in true spirit—राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक। हमारा कर्तव्य है कि हम न्याय को केवल कानूनी दायरे में नहीं, बल्कि उसके मूल संवैधानिक मर्म के अनुरूप लागू करें।
Dr. B.R. Ambedkar का उल्लेख: ‘One Person, One Vote’ की ताकत
अपने भाषण के दौरान, CJI गवई ने संविधान निर्माता B.R. Ambedkar को याद किया और कहा कि Ambedkar ने ‘एक व्यक्ति, एक वोट’ का सिद्धांत देकर देश को Political Justice दिया, जो आज हमारी लोकतांत्रिक पहचान की नींव है।
“Jammu, Kashmir और Ladakh ने मुझे अपनापन दिया” – CJI Gavai
CJI गवई ने कहा कि उन्हें जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की यात्रा के दौरान emotional connect और cultural hospitality महसूस हुई। ऐसा लगता है मानो मैं अपने hometown लौट आया हूँ। यहाँ की सूफी संस्कृति और सभी धर्मों का संगम भारतीय secularism को मजबूत करता है।”
Bar Councils द्वारा उठाए गए मुद्दों पर क्या बोले CJI?
कश्मीर, जम्मू और लद्दाख के bar representatives द्वारा उठाए गए मुद्दों पर CJI गवई ने कहा कि वे इन मामलों पर फैसला लेने के अधिकारी नहीं हैं, लेकिन इन बातों को उचित मंच जैसे Collegium या Supreme Court Administration तक पहुँचाएँगे।