शिमला. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से न्यूज़ीलैंड की उच्चायुक्त जोआना कैम्पकर्स व अन्य प्रतिनिधियों ने सरकारी आवास ओक-ऑवर में बागवानी एवं उद्योग से संबंधित विभिन्न मामलों के बारे तकनीकी ज्ञान प्रदान करने को लेकर चर्चा की.
मुख्यमंत्री ने इन्हें प्रदेश के वर्तमान बगीचों में चल रही गतिविधियों के अतिरिक्त मंडी , चंबा व सिरमौर आदि अन्य ज़िलों में बागीचों के विस्तार के बारे में जानकारी दी.
उन्होंने कहा कि वह भारत सरकार तथा विश्व बैंक के हिमाचल प्रदेश को 1134 करोड़ रुपये के हिमाचल प्रदेश बागवानी विकास परियोजना के लिए धनराशि उपलब्ध करवाने पर सहमति व्यक्त करने के लिए आभारी है. मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘उच्च तकनीक’ बागवानी के रोड़ मैप से न केवल बागवानी के क्षेत्र में क्रान्ति आएगी, बल्कि प्रदेश के बागवानों का भविष्य भी समृद्ध होगा. न्यूज़ीलैंड द्वारा प्रति हैक्टेयर में उच्च गुणात्मक सेब उत्पादन उल्लेखनीय है, जो औसतन प्रति हैक्टेयर लगभग 65 मीट्रिक टन है। न्यूज़ीलैंड लगभग 60 से 70 देशों को बागवानी से सम्बन्धित तकनीकी ज्ञान प्रदान करता हैं.
विशेषज्ञ को तकनीकी ज्ञान प्रदान करेंगे
न्यूजीलैंड के विशेषज्ञ प्रदेश के बागवानी विभाग के विशेषज्ञ को तकनीकी ज्ञान प्रदान करेंगे, जिससे प्रदेश के आमजनों का सामाजिक-आर्थिक उत्थान सुनिश्चित होगा. न्यूजीलैंड के कृषि विशेषज्ञ, जो विश्व में फलोत्पादन में अग्रणी हैं, के साथ मिलकर कार्य कर हिमाचल प्रदेश के फल उत्पादकों को निश्चित रूप से सहायता मिलेगी. उन्होंने विशेषज्ञों को प्रदेश में वर्तमान में 6 से 7 मीट्रिक टन उत्पादन को कम से कम देश की 50 प्रतिशत उत्पादन क्षमता तक बढ़ाने की चुनौती के बारे में भी बताया.
उनकी सरकार वर्तमान में बागवानों के समक्ष आ रही चुनौतियों के प्रति सजग है
मुख्यमंत्री ने दोहराया कि उनकी सरकार वर्तमान में बागवानों के समक्ष आ रही चुनौतियों के प्रति सजग है. विश्वभर के फल उत्पादक व किसान मौसम परिवर्तन की समस्या से जूझ रहे हैं, जिसके फलस्वरूप फसल विविधिकरण के नवाचारों को अपनाना आवश्यक हो गया है. पारम्परिक, पुराने और कम उत्पादन वाले बागीचों का नवीकरण आज की आवश्यकता है.
न्यूजीलैंड की उच्चायुक्त जोआना कैम्पकर्स ने कहा कि न्यूजीलैंड के विशेषज्ञों के साथ अनुबंध का निर्णय हमारे विश्व स्तरीय बागवानी उद्योग को मान्यता देता है, जो सेब के उच्च उत्पादन, गुणात्मक फलों व नवावेश के लिए जाना जाता है। यह परियोजना प्रदेश के बागवानों के साथ न्यूजीलैंड के विशेषज्ञों के लम्बे सहयोग का सराहनीय कदम है। न्यूजीलैंड तथा भारत के सेब उत्पादकों की बाजार में कोई प्रतियोगिता नहीं है, बल्कि ये एक-दूसरे के सहयोगी हैं। उन्होंने यहां पर परामर्शदाताओं को रखने पर भी प्रसन्नता व्यक्त की तथा कहा कि इससे बागीचों के प्रबन्धन तथा उत्पादन में सुधार लाने में सहायता मिलेगी और अधिक रोज़गार सृजित होने के साथ-साथ जीवनयापन में भी सुधार आएगा।
न्यूजीलैंड विश्वभर में बागवानी क्षेत्र में नए सुधारों के लिए जाना जाता है
न्यूजीलैंड विश्वभर में बागवानी क्षेत्र में नए उच्च उत्पादन के साथ-साथ वैज्ञानिक व विश्व स्तरीय कार्य प्रणाली के लिए जाना जाता है. न्यूजीलैंड में सेब व नाशपाती का विश्वभर में सर्वाधिक उत्पादन होता है, जो प्रतिवर्ष औसतन 65 मीट्रिक टन प्रति हैक्टेयर है व हमारे निकटतम प्रतिद्वंदियों से 50 प्रतिशत अधिक है. विश्व में सबसे बेहतर उत्पादन और फसल कटाई प्रणाली तथा उच्च गणुवत्ता वाले फलों के उत्पादन में न्यूजीलैंड ने विश्वभर में उच्च स्थान हासिल किया है. यह परियोजना हिमाचल प्रदेश के बागवानों को न्यूजीलैंड के विशेषज्ञों से उनके बागीचों की उत्पादकता में सुधार लाने तथा गुणात्मक फसल तैयार करने के साथ-साथ बागवानों को बेहतर आय सृजित करने में भी सहायक सिद्ध होगा.
बागवानी गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाएगा
बागवानी मंत्री महेन्द्र सिंह ठाकुर ने कहा कि उप-उष्मीय क्षेत्रों के साथ-साथ बागवानी गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाएगा. मंत्री ने रूट-स्टॉक की सिंचाई घटकों के बारे भी जानकारी हासिल की. प्रदेश सरकार राज्य के छोटे व मंझौले किसानों की आर्थिक स्थिति के सुधार पर ध्यान दे रही है. प्रदेश में लगभग 85 प्रतिशत कुल फल उत्पादकों में 33 प्रतिशत महिला किसान भी शामिल हैं.
प्रधान सचिव बागवानी जे.सी. शर्मा ने बताया कि विदेशी विशेषज्ञों का दल कार्यान्वित की जा रही परियोजना के अंतर्गत बागवानों का मार्गदर्शन, अनुश्रवण, वैज्ञानिक प्रशिक्षण एवं नई नवोन्मेष तकनीक प्रदान करेगा.
इस बारे में न्यूज़ीलैंड के न्यूज़ीलैंड इंस्टीट्यूट फॉर प्लांट एंड फूड रिसर्च के विशेषज्ञ दल के साथ हिमाचल प्रदेश बागवानी परियोजना के अधिकारियों ने पहले ही समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर कर लिए हैं.