रांची. झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष डाॅ. अजय कुमार मंगलवार को सदन में पेश किये गये झारखंड के सालाना बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे बहुत ही निराशाजनक बजट बताया. सदन में आर्थिक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में क्रोनिक कुपोषण झारखंड को बजट से बहुत उम्मीद थी कि कल्याण ‘समाज कल्याण’ में एक दिखलायी पड़ने वाली स्पष्ट बढ़ोत्तरी होगी परन्तु पिछले बजट में 7.10 प्रतिशत की हिस्सेदारी थी कल्याण विभाग की, जो इस बार के बजट में 7.14 प्रतिशत हो गयी है.
स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में व्यय के मामले में झारखंड काफी पीछे है परंतु बजटीय प्रावधान सरकार की उदासीनता को ही बयां करते है. मालूम हो कि पिछले बजट में षिक्षा की 13.90 प्रतिशत की भागीदारी थी, जिसमें 13.94 प्रतिशत ही किया गया है.
इसी तरह हेल्थसेक्टर की भागीदारी को 4.10 प्रतिशत की तुलना में बजट 2018 में मात्र 4.77 प्रतिशत ही किया गया. मजदूर से मुख्यमंत्री बने रघुवर दास जी ने राज्य के मनरेगा मजदूरों की कोई सुध नहीं ली बजट में. मनरेगा मजदूरों को आशा थी कि राज्य में लागू न्यूनतम मजदूरी का प्रावधान मनरेगा मजदूरों के लिए किया जायेगा, परंतु ऐसा नहीं हुआ.
मनरेगा मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी से कम पर काम करना पड़ रहा है. ग्रामीणों की आय डबल करने की घोषणा मुख्यमंत्री ने पिछले बजट में की थी, परंतु पेश बजट से मालूम हो रहा है कि मुख्यमंत्री द्वारा आय बढ़ाने को घोषित रोडमैप भटक गया है.
वर्ष 2016-17 में आय 64823 रूपये सालाना औसत आय थी, जिसे बढ़कार 70468 रूपये के आय का अनुमान वर्ष 2017-18 के लिए लगाया गया है. जो मात्र नौ प्रतिशत की वृद्धिदर है. बजट में विकास का कोई विजन नहीं दिखा, न ही ग्रामीणों के लिए, न मजदूरों के लिए, और न ही कुपोषण के लिए के लिए.