नई दिल्ली. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने उपराष्ट्रपति पद के लिए सीपी राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाया है। इस बार उनकी जीत लगभग तय मानी जा रही है, क्योंकि NDA के पास पर्याप्त संख्या बल है और जगन मोहन रेड्डी की पार्टी YSRCP ने भी उन्हें समर्थन दिया है। लेकिन राधाकृष्णन का राजनीतिक सफर उतार-चढ़ाव भरा रहा है, क्योंकि दो मौकों पर वे मंत्री पद से बस कदम भर दूर रह गए।
नामों की गड़बड़ी और चूक
साल 2000 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी उन्हें अपने कैबिनेट में शामिल करना चाहते थे, लेकिन नामों की गड़बड़ी के कारण उनकी जगह पोन राधाकृष्णन को मंत्री बना दिया गया। जबकि राधाकृष्णन ने 1998 और 1999 दोनों लोकसभा चुनावों में कोयंबटूर से शानदार जीत दर्ज की थी।
जयललिता की रणनीति से दूसरा झटका
2014 में नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में उनके मंत्री बनने की संभावना थी, लेकिन जयललिता ने कोयंबटूर सीट को एआईएडीएमके (AIADMK) की प्रतिष्ठा बना दिया और उनके उम्मीदवार पी. नागराजन ने राधाकृष्णन को हरा दिया।
मौजूदा समीकरण
आज की स्थिति में लोकसभा के 293 और राज्यसभा के 133 सांसद NDA के पास हैं। क्रॉस-वोटिंग और YSRCP के समर्थन से यह आंकड़ा और मजबूत हो गया है। विपक्षी गठबंधन INDIA ने उनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बी. सुदर्शन रेड्डी को उम्मीदवार उतारा है। उपराष्ट्रपति चुनाव 9 सितंबर को होना है।