शिमला. राजकीय सीएंडवी अध्यापक संघ ने सरकार व शिक्षा विभाग पर प्रश्न चिन्ह लगाया है कि प्रदेश के सीएंडवी शिक्षक अब 17 वर्ष बाद अप्रशिक्षित कैसे नजर आने लगे. प्रदेशाध्यक्ष चमन लाल शर्मा ने कहा कि डी एल एड ऐसे शिक्षको के लिये है, जिन्होने नियुक्ति से पुर्व किसी प्रकार का प्रशिक्षण प्राप्त नहीं किया है. लेकिन शिक्षा विभाग के आदेश के अनुसार जो 2001 से 2017 के बीच नियुक्त हुये हैं, उन पर डी एल ऐड करने के लिये शिक्षा विभाग द्वारा जो दबाव बनाया जा रहा है क्या वह उचित है?
अगर प्रदेश सरकार व विभाग ये कह दे कि 2001 से 2017 के बीच जो नियुक्तियां हुई है वह असंवैधानिक है या भर्ती एवं पदोन्नति नियमों को दर किनार करके हुई हैं,तो तब सभी सीएंडवी अध्यापक डी एल ऐड करने को तैयार है अन्यथा किसी भी हालत में सी एण्ड वी शिक्षक डी एल ऐड नहीं करेंगे.
प्रदेश सरकार केन्द्र सरकार के गलत आदेशों का मानने के लिए बाध्य नहीं है, अगर प्रदेश सरकार चाहे तो इस अधिसूचना को निरस्त कर सकती है. इस सन्दर्भ में संघ ने 04 अक्तूबर को सरकार को ज्ञापन भी सौंपा है. प्रदेश के परेशान 18000 सीएंडवी शिक्षक सरकार के डी एल ऐड के निर्णय पर टकटकी लगाए बैठे हैं.
अगर प्रदेश सरकार समय रहते डी एल ऐड पर कोई निर्णय नहीं लेती है तो प्रदेश के सीएंडवी शिक्षक आने वाले चुनावों में इसका जबाव देने के लिए मजबूर हो जाएगें. संघ का कहना है कि जब तक डी एल एड के आदेशों को भर्ती एंव पदोन्नति नियमों मे नहीं शामिल किया जाता, तब तक संघ इसका बहिष्कार करता रहेगा.