नई दिल्ली. झारखंड के पाकुड़ा में आधार-आधारित बायोमेट्रिक सत्यापन के न होने से एक और महिला की मौत हो गई है. यह मामला धावाडंगल गांव का है जहां लुखी मुर्मू की मौत कुपोषण की वजह से हो गई.
30 वर्षीय लुखी के परिवार को पिछले चार महीनों से उसका राशन नहीं मिला था जिसकी वजह से उसके परिवार को केवल चावल या कभी-कभी भूखे रह कर गुजारा करना पड़ता था.
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत लुखी के परिवार को अन्त्योदय राशन कार्ड मिला था लेकिन जून 2017 में बिना परिवार की जानकारी के इस राशन कार्ड को “प्राथमिकता” श्रेणी में बदलाव कर दिया गया था. जिससे परिवार की अनाज मिलने की मात्रा में 15 किलो की कमी हो गई थी.
जानकारी के अनुसार लुखी के परिवार को पिछले अक्टूबर से राशन एक दाना तक नहीं मिला है इसकी वजह ईपीओएस मशीन में अंगूठा न मिला था. जिससे बार-बार उसके परिवार को खाली हाथ लौटना पड़ रहा था और उसके बाद से ही लुखी की शारीरिक हालत काफी खराब हो गई थी.
दूसरी तरफ लुखी के मौत के बाद उपायुक्त की जांच रिपोर्ट में इसका कारण बीमारी बताया गया है लेकिन किसी भी बीमारी का नाम बताया नहीं गया. वहीं उनके परिवार का मानना है कि लुखी को कोई बीमारी नहीं थी.
आगे इस रिपोर्ट में बताया गया है कि मौत की वजह भूख नहीं हो सकती थी क्योंकि उसके पास ज़मीन, दो गाय और कुछ धान था. सरकारी पदाधिकारियों का तर्क है कि यह संपत्ति बेच कर वह अपने खाने का इंतजाम कर सकती थी.
इससे पहले भी सितम्बर 2017 में सिमडेगा में संतोषी कुमारी की भूख से मौत हो चुकी है जिसके बाद खाद्य मंत्रालय ने आदेश निकाला था जिसके अनुसार जिन परिवारों का आधार नहीं है या जिनका अंगूठा मशीन में काम नहीं करता, उनको भी राशन वितरण करना है लेकिन अभी तक इसका पालन सही तरीके से नहीं हो पाया है.