नई दिल्ली. भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को अपने पद से अचानक इस्तीफा देकर सियासी हलकों में खलबली मचा दी। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर अपनी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को इस्तीफे का कारण बताया। लेकिन इस कदम को लेकर विपक्ष सवाल उठा रहा है और इसे राजनीतिक दबाव का परिणाम मान रहा है। Article 68(2) of the Constitution के अनुसार, उपराष्ट्रपति पद खाली होने पर जल्द से जल्द चुनाव कराना अनिवार्य है।
धनखड़ वर्ष 2022 में NDA के उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरे थे और उन्होंने विपक्ष की संयुक्त उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को 528 वोटों से हराकर भारी जीत दर्ज की थी। ये पिछले 30 वर्षों में उपराष्ट्रपति पद के लिए सबसे अधिक वोट माने जाते हैं। अल्वा को सिर्फ 182 वोट मिले थे।
वर्तमान में NDA के पास लोकसभा में 293 और राज्यसभा में 133 सांसद हैं, जिससे उनके पास कुल 426 सांसदों का समर्थन है — जो उपराष्ट्रपति चुनाव जीतने के लिए पर्याप्त माना जा रहा है। इसके अलावा, cross-voting की संभावना भी NDA के पक्ष में जा सकती है, जैसा कि 2022 में देखा गया।
संसद में ताकत का विश्लेषण
NDA: लोकसभा (293) + राज्यसभा (133) = 426
INDIA Bloc & Others: संख्या कम, लेकिन गठजोड़ की कोशिशें जारी हैं
छोटे दलों और निर्दलीयों की भूमिका इस बार अहम हो सकती है
धनखड़ के इस्तीफे ने नए सियासी समीकरणों को जन्म दे दिया है। विपक्ष इसे strategic resignation मान रहा है और आरोप लगा रहा है कि VP धनखड़ पर political pressure था। वहीं, सरकार ने इसे केवल एक health-related decision बताया है। अब देखना दिलचस्प होगा कि Vice President Election 2024 में कौन सा गठबंधन बाज़ी मारता है — क्या NDA फिर से मजबूत वापसी करेगा या INDIA Bloc कोई चौंकाने वाला दांव चल पाएगा?