शिमला. कुमारसैन क्षेत्र में जहां दीपावली का पर्व बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। वहीं, प्राचीन काल से मनाये जा रहे दीपावली पर्व को बड़ागांव क्षेत्र की जनता ने हर्षोंल्लास के साथ मनाया।
आराध्य देवता ब्रह्मेशवर महादेव के मंदिर में शनिवार को सुबह से ही भक्तों का ताँता लगा रहा तथा सैंकड़ो की संख्या में लोगों ने देवता ब्रह्मेश्वर महादेव के समक्ष शीश नवाया।
देवता ब्रह्मेशवर महादेव के भंडारी जौनी ने जानकारी देते हुए कहा कि इस उपलक्ष्य पर मंदिर परिसर में देवता ब्रह्मेश्वर महादेव की विशेष कचेहरी सजी, जिसमे देवता के गुरो ने दैविक शक्तियों से भक्तों की समस्याओं का समाधान किया तथा उन्हें आशीर्वाद दिया। ब्राह्मण समुदाय की महिलाओं के द्वारा देवता ब्रह्मेश्वर महादेव के समक्ष पारंपरिक गीत गाए गए।
इस पारंपरिक दीवाली मेले में लोग अपने घरों से पके हुए चावल मंदिर लाते है जहाँ पर सभी को इकट्ठा किया जाता है तथा प्रसाद के रूप में सभी को दिया जाता है जो कि एकता का प्रतीक है। नगाड़े ढ़ोल व नसींगे की ताल पर देवता ब्रह्मेश्वर महादेव की सुसज्जित पालकी को मेला मैदान लाया गया। जहां पर देव नृत्य किया गया। यह मेला देवता ब्रह्मेश्वर महादेव का प्रमुख मेला है। दीवाली मेला में सैंकड़ो की संख्या में लोग मौजूद रहे।
तीन दिवसीय इस पारंपारिक दीवाली मेले में वीरवार रात्रि को क्षेत्र के लोग देवता ब्रह्मेशवर महादेव के मंदिर पहुंचे जहां पर उन्होंने मशालें जलाकर आराध्य देवता ब्रह्मेश्वर महादेव का भव्य स्वागत किया। दीवाली की रात को देवता ब्रह्मेश्वर महादेव के मंदिर में भजन-कीर्तन का आयोजन भी हुआ। शुक्रवार को बांड (रस्सा कस्सी ) का आयोजन किया गया। स्थानीय लोग एक रस्सा बनाकर खूब खेले। देवता गुर पुरषोत्तम ने कहा कि यह मेला क्षेत्र की सुख-समृद्धि, आपसी भाईचारे तथा लोगो में देव आस्था को बनाए रखता है। जिसे आज भी पारंपारिक ढंग से मनाया जाता है।