नई दिल्ली. हिमाचल प्रदेश में रेजिडेंट डॉक्टरों के अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाने से राज्य के कई सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हो गई हैं। हालांकि, आपातकालीन सेवाओं को हड़ताल से बाहर रखा गया है। डॉक्टर एक ऐसे चिकित्सक की सेवाएं समाप्त किए जाने के विरोध में आंदोलन कर रहे हैं, जिस पर मरीज के साथ मारपीट का आरोप लगा था।
48 घंटे में बर्खास्तगी पर डॉक्टरों में नाराज़गी
रेजिडेंट डॉक्टरों का कहना है कि संबंधित डॉक्टर को महज 48 घंटे के भीतर सेवा से हटाना अन्यायपूर्ण है। इससे पूरे मेडिकल समुदाय में असंतोष और असुरक्षा की भावना पैदा हुई है। डॉक्टरों का आरोप है कि इस फैसले ने चिकित्सा पेशे की गरिमा को ठेस पहुंचाई है।
मरीजों और तीमारदारों को भारी परेशानी
हड़ताल के कारण दूर-दराज से इलाज के लिए आए मरीजों और उनके परिजनों को गंभीर दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
125 किलोमीटर दूर आनी से अपने पिता का इलाज कराने पहुंचे कृष्ण सिंह ठाकुर ने कहा कि डॉक्टरों की अनुपस्थिति से इलाज ठप पड़ा है। नए साल के कारण भारी पर्यटन और कड़ाके की ठंड ने परेशानी और बढ़ा दी है।
जांच और एमआरआई जैसी सेवाएं ठप
एक अन्य मरीज के तीमारदार दस्वी राम ने बताया कि उनकी पत्नी की एमआरआई शनिवार को होनी थी, लेकिन हड़ताल के चलते जांच नहीं हो सकी। मरीज डॉक्टरों के ड्यूटी पर लौटने का इंतजार कर रहे हैं।
कई जिलों में असर
शिमला, धर्मशाला, नाहन, हमीरपुर, ऊना सहित राज्य के कई जिलों से स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित होने की खबरें सामने आई हैं। इससे पहले शुक्रवार को भी रेजिडेंट डॉक्टर सामूहिक अवकाश पर चले गए थे।
केवल आपात सेवाएं चालू
रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने स्पष्ट किया है कि हड़ताल के दौरान ओपीडी, रूटीन सेवाएं और वैकल्पिक सर्जरी बंद रहेंगी। केवल इमरजेंसी सेवाएं जारी रहेंगी।
IGMC के डिप्टी मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. प्रवीण भाटिया ने बताया कि कंसल्टेंट डॉक्टर इमरजेंसी और भर्ती मरीजों को सेवाएं दे रहे हैं, हालांकि नियोजित सर्जरी में दिक्कतें आ रही हैं।
सरकार ने जारी की SOP
डायरेक्टोरेट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च ने स्वास्थ्य सेवाएं बाधित न हों, इसके लिए एसओपी जारी की है। इसके तहत कंसल्टेंट डॉक्टरों को ओपीडी की जिम्मेदारी दी गई है और इमरजेंसी ड्यूटी में रेजिडेंट डॉक्टरों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।
रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन का पक्ष
IGMC रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सोहेल शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री ने जांच का आश्वासन दिया है, लेकिन बर्खास्तगी ने डॉक्टरों में अपमान और असुरक्षा की भावना पैदा की है।
उन्होंने कहा कि गलत व्यवहार के लिए 6 घंटे में निलंबन हो गया था, लेकिन 48 घंटे में सेवा समाप्त करना उचित नहीं है। उनकी मुख्य मांग बर्खास्तगी आदेश को रद्द करना है।
क्या है पूरा मामला
सरकार ने बुधवार को डॉ. राघव नरूला की सेवाएं समाप्त कर दी थीं। आरोप है कि उन्होंने IGMC के पल्मोनरी वार्ड में मरीज अर्जुन सिंह के साथ मारपीट की। यह मामला एक वायरल वीडियो के बाद सामने आया।
मरीज का आरोप है कि डॉक्टर द्वारा ‘तू’ कहकर संबोधित करने पर विवाद बढ़ा, जबकि डॉक्टर का कहना है कि मरीज ने पहले गाली-गलौज की। जांच समिति ने दोनों पक्षों को दोषी माना।
डॉक्टर संगठनों का समर्थन
हिमाचल मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन, मेडिकल व डेंटल कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन, प्राइवेट प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन और फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने डॉ. नरूला के समर्थन में आवाज उठाई है।
सभी संगठनों ने बर्खास्तगी रद्द करने, निष्पक्ष जांच और अस्पतालों में डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है।
सीएम से मुलाकात के बावजूद हड़ताल जारी
रेजिडेंट डॉक्टरों ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से मुलाकात की थी। मुख्यमंत्री ने अस्पताल में हंगामा करने वालों पर कार्रवाई और डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए नए दिशा-निर्देश लाने का आश्वासन दिया, लेकिन इसके बावजूद डॉक्टरों ने हड़ताल जारी रखने का फैसला किया।
