नई दिल्ली. कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा वोटर सूची में हेरफेर और अवैध हटाने के आरोपों पर शुक्रवार को चुनाव आयोग (ECI) ने विस्तृत स्पष्टीकरण जारी किया।
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि कोई भी आम नागरिक ऑनलाइन वोटर को हटाने का काम नहीं कर सकता और किसी भी तरह की वोटर सूची से नाम हटाने की प्रक्रिया कानूनी रूप से तय नियमों के तहत ही पूरी होती है।
आयोग ने बताया कि हालांकि फॉर्म 7 ऑनलाइन जमा कर किसी मतदाता का नाम हटाने के लिए आवेदन किया जा सकता है, लेकिन जमा होते ही नाम अपने आप हटाए नहीं जाते।
“वोटरों के पंजीकरण नियम, 1960 के अनुसार, किसी भी व्यक्ति का नाम हटाने से पहले नोटिस जारी करना और उसे अपनी बात रखने का अवसर देना अनिवार्य है।”
अलंद में वोटर हटाने के विवाद पर EC का बयान
चुनाव आयोग ने बताया कि अलंद में ऑनलाइन फॉर्म 7 के माध्यम से कुल 6,018 वोटर हटाने के आवेदन जमा हुए। जांच में केवल 24 आवेदन ही सही पाए गए, जबकि 5,994 गलत पाए गए। बड़ी संख्या में झूठे आवेदन मिलने पर आयोग ने जांच शुरू करवाई और 21 फरवरी 2023 को अलंद पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज की गई।
आयोग ने कहा कि आपत्ति दर्ज करने वालों के नाम, EPIC नंबर, मोबाइल नंबर, IP एड्रेस और आवेदन जमा करने की जानकारी जांच एजेंसियों को सौंप दी गई है। कर्नाटक के मुख्य चुनाव अधिकारी (CEO) लगातार जांच में सहयोग कर रहे हैं।
महाराष्ट्र के राजुरा में भी मिली संदिग्ध गतिविधि
महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले के राजुरा में भी चुनाव आयोग को 7,792 नए वोटर पंजीकरण के आवेदन मिले। इनमें से 6,861 आवेदन अमान्य पाए गए और रिजेक्ट कर दिए गए। बड़ी संख्या में फर्जी आवेदन मिलने पर राजुरा पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज की गई।
ईसी का पारदर्शिता पर जोर
चुनाव आयोग ने एक बार फिर अपने प्रतिबद्धता को दोहराया कि सभी चुनावी रिकॉर्ड कानून के तहत ही नियंत्रित हैं।
“वोटर सूची में किसी भी प्रकार की सुधार, नाम हटाना या शामिल करना हमेशा कानूनी प्रक्रिया के अनुसार किया जाता है।”
राहुल गांधी का नया आरोप
पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को चुनाव आयोग पर फिर हमला करते हुए कहा कि CEC Gyanesh Kumar उन शक्तियों की रक्षा कर रहे हैं जो “लोकतंत्र को नुकसान पहुंचा रही हैं।” उन्होंने कर्नाटक की एक विधानसभा सीट का डेटा साझा कर कांग्रेस समर्थकों के वोट जानबूझकर हटाने का आरोप लगाया।
गांधी ने बताया कि सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर वोटरों की पहचान बनाकर फर्जी हटाने के आवेदन किए गए, जिसमें कर्नाटक के बाहर के मोबाइल नंबर लिंक थे। उनका दावा है कि एक ऑटोमेटेड प्रोग्राम बूथ सूची में पहले नाम को चुनकर फर्जी हटाने की प्रक्रिया कर रहा था।