कांगड़ा : प्रदेश सरकारों की अनदेखी का शिकार गद्दी समुदाय वर्तमान में अस्तित्व की लड़ाई लड़ने को मजबूर है. अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिलने के बाद से समुदाय को विधानसभा व लोकसभा में आरक्षण देने की मांग उठ रही है. लेकिन इसे नजरअंदाज किया जा रहा है.
प्रदेश गद्दी कल्याण बोर्ड के सदस्य मनोज कुमार ने धर्मशाला में प्रेसवार्ता के दौरान कहा कि “गद्दी समुदाय प्रदेश सरकार से मांग करता है कि जिला कांगड़ा में समुदाय के लिए दो सीटें आरक्षित की जाएं.” मनोज कुमार ने कहा कि हिमाचल की सरकारों ने समुदाय का राजनितिक, आर्थिक और सामाजिक स्तर पर शोषण किया है.
मनोज ने कहा कि वर्ष 2003 में गद्दी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया गया था. इस दौरान कई जातियां इसमें शामिल होने से रह गई थी. उन्होंने कहा कि जिला कांगड़ा में गद्दी समुदाय की जनसंख्या 4 लाख के लगभग है. गद्दी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिले 14 साल बीत चुके हैं. केंद्र द्वारा जारी आदेश के अनुसार अनुसूचित जनजाति को साढ़े सात फीसदी आरक्षण प्राप्त है. जबकि प्रदेश सरकार जनसंख्या का हवाला देकर 5 फीसदी आरक्षण ही दे रही है.
वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर वर्ष 2012 में अनुसूचित जनजाति को आरक्षण न देने के पीछे हवाला दिया गया था कि आंकड़े तैयार नहीं है. उन्होंने उम्मीद जताई कि अब आंकड़े तैयार हो चुके होंगे. ऐसे में जिला कांगड़ा में अनुसूचित जनजाति को दो सीटों पर आरक्षण दिया जाना चाहिए.