मेक इन इंडिया पॉलिसी के बारे में आलोचना झेल रही केन्द्र सरकार को एक और झटका लगा है. पश्चिम बंगाल के इशापुर में हुए परिक्षण में स्वदेशी असाल्ट राइफल बुनियादी मानकों पर खरा उतर नहीं सका. इसके बाद भाारतीय सेना ने इन राइफल्स को शामिल करने से इनकार कर दिया है. यह दूसरी बार है जब सेना ने स्वदेशी 7.62*51 एमएम एक्स कैलिबर असाल्ट राइफल को रिजेक्ट किया है. पिछले साल हुए परिक्षण में भी सेना ने इसे कई मानकों पर सही नहीं पाया था.
मीडिया रिपोर्टों में बताया गया है कि एक्स कैलिबर फायरिंग के बाद ज्यादा तेजी से झटका देती है. इसके साथ ही अत्यधिक चमक और तेज ध्वनी की भी समस्या है. इन खामियों की वजह से इसे लड़ाई में इस्तेमाल के लिए मुफीद नहीं माना गया है. गर्वनेंस आर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड स्वदेशी असाल्ट राइफल्स का विकास कर रही है.
स्वदेशी 7.62*51 एमएम एक्स कैलिबर राइफल्स भारतीय सेना में सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली इंसास और एके-47 की जगह लेने वाली थी. इंसास और एके-47 सेना के द्वारा 1988 से इस्तेमाल की जा रही है. सरकार उच्च क्षमता वाले असाल्ट राइफल्स से सेना को मजबूत करना चाहती है.
केन्द्र सरकार ने मेक इन इंडिया के तहत रक्षा क्षेत्रों में नई नीति का ऐलान किया था. इसके तहत भारतीय कंपनियों को विदेशी साझेदारों के साथ मिलकर हथियारों, फाइटर जेट और सबमरीन बनाने की अनुमति दी गई थी.
भारत दूनिया में हथियारों का सबसे बड़ा आयातक देश है. यहां 70 फीसदी हथियार विदेशों से मंगवाये जाते हैं. केन्द्र सरकार ने अगले एक दशक में सेना के आधुनिकीकरण के लिए 250 अरब डॉलर खर्च करने की योजना बनाई है.
एक अच्छी खबर यह है कि अमेरिकी कंपनी लॉक़डीह मार्टिन ने एफ-16 विमान बनाने के लिए भारतीय कंपनी टाटा समूह के साथ समझौता किया है.