मंडी. हिमाचल प्रदेश की कठिन भौगोलिक स्थिति के चलते यहां खेती-बाड़ी किसी चुनौती से कम नहीं है. पारंपरिक फसलों से आगे बढ़ते हुए प्रदेश का किसान अब नकदी फसलों के उत्पादन में पारंगत हो रहा है. विशेष तौर पर ऊंचाई वाले ठंडे क्षेत्रों में नकदी फसलों की खेती उनकी आजीविका का मुख्य स्रोत बन चुकी हैं. मंडी जिले में भी किसान नकदी फसलों विशेष तौर पर आलू का उत्पादन कर अच्छी आय अर्जित कर रहा है.
मंडी जिले की चौहार घाटी, गोहर की ज्यूणी घाटी, करसोग व सराज उपमंडल के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में आलू, राजमा, मटर इत्यादि नकदी फसलों की ओर किसानों का रूझान बढ़ा है. विशेष तौर पर चौहार व ज्यूणी घाटी में आलू की नकदी फसलों से किसान अपनी आर्थिकी सुदृढ़ कर रहे हैं.
आलू बीज पर विश्व स्तरीय शोध के लिए शिमला जिले के कुफरी में केंद्रीय आलू अनुसंधान केंद्र स्थापित किया गया है. जहां से प्रमाणित आलू बीज की नई प्रजातियां निकलती हैं. इसके अतिरिक्त जिला के किसान मनाली तथा लाहौल से भी आलू बीज प्राप्त करते हैं.
मंडी जिले में वर्तमान में लगभग 1.36 हजार हैक्टेयर क्षेत्र में आलू की पैदावार की जा रही है. इनमें सदर मंडी, सुंदरनगर, द्रंग, करसोग, गोहर तथा सराज क्षेत्र प्रमुखतया सम्मिलित हैं. जिले के किसान लगभग 17 हजार मिट्रिक टन वार्षिक आलू की पैदावार करते हैं. इनमें सदर मंडी तथा सुंदरनगर में लगभग ढ़ाई-ढ़ाई हजार मिट्रिक टन, द्रंग में 2.875 मिट्रिक टन, करसोग में 2.25, गोहर में 3.125 तथा सिराज में सबसे अधिक 3.750 मिट्रिक टन आलू का वार्षिक उत्पादन किया जा रहा है.
आलू खरीफ की फसल है और इसकी प्रजातियों में मुख्यतया कुफरी ज्योति, कुफरी चंद्रमुखी, कुफरी हिमालयनी, कुफरी शैलजा, कुफरी गिरीराज इत्यादि शामिल हैं. इनमें से मंडी जिला में कुफरी ज्योति व कुफरी हिमालयनी का ज्यादा प्रयोग किया जाता है. कुफरी ज्योति प्रजाति में सफेद रंग का फूल जबकि कुफरी हिमालयनी में हल्का गुलाबी रंग का फूल लगता है.
इसके अतिरिक्त किसान अपने स्तर पर भी बीज आलू का उत्पादन कर रहा है. विशेषतौर पर ठंडे क्षेत्र के बीज में बिमारियां इत्यादि लगने की संभावनाएं काफी कम होती हैं.
प्रदेश सरकार कृषि विभाग के माध्यम से किसानों को बीज सहित विभिन्न तकनीकी सहायता भी प्रदान कर रही है. उत्पादकों को आलू के प्रमाणित बीज पर प्रति किलोग्राम लगभग तीन रुपए का अनुदान प्रदान किया जा रहा है. इस वर्ष कृषि विभाग द्वारा 1,120 क्विंटल बीज विभाग के माध्यम से भी किसानों को वितरित किया गया. इसके अतिरिक्त उनकी फसलों के लिए मंडियों के माध्यम से विपणन की भी सुविधा प्रदेश सरकार द्वारा उपलब्ध करवाई जा रही है.
आलू उत्पादन से किसान तो सीधा लाभ प्राप्त कर ही रहा है, इससे महिलाएं व अन्य ग्रामीण ढुलाई तथा छंटाई इत्यादि कार्यों के माध्यम से अप्रत्यक्ष तौर पर रोजगार प्राप्त कर रहे हैं. किसानों को उनके उत्पाद पर लगभग 7 से 12 रुपए प्रति किलो तक दाम घर के समीप ही प्राप्त हो रहे हैं. इसी प्रकार आलू की ग्रेडिंग, छंटाई इत्यादि में स्थानीय महिलाएं दैनिक आधार पर कार्य कर अतिरिक्त आय अर्जित कर रही हैं। खेत से मंडियों तक ढुलाई तथा गाड़ियों के माध्यम से बाहरी राज्यों में ढुलाई कर ग्रामीण युवा को भी रोजगार प्राप्त हुआ है.