नई दिल्ली. गूगल ने कई बार डूडल बनाकर इतिहास में दबे नामों को फिर से हमारे सामने प्रस्तुत किया है. इसी क्रम में आज का दिन रहा भारत की पहली महिला डॉक्टर रुखमाबाई के नाम, जिनका आज 153 वां जन्मदिवस है.
11 साल उम्र में शादी
1864 में जन्मीं महिला न सिर्फ डॉक्टर बनकर इतिहास रचती हैं बल्कि हिंदू महिला के उत्थान के लिए पूरे जीवन भर संघर्ष करती रहीं. महज 11 साल की उम्र में ही उनकी शादी हो गई थी, क्योंकि उस समय बाल विवाह आम बात थी. रुखमबाई ने अपने पति का साथ छोड़ना चाहा लेकिन कोर्ट ने कहा या तो साथ में रहो या फिर जेल जाने के लिए तैयार रहो.
जब रुखमाबाई ने कोर्ट के सामने रखा अपना पक्ष
रुखमाबाई ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसलो को नहीं माना. रुखमाबाई ने कहा कि वह इस शादी को नहीं मानती क्योंकि बाल उम्र में वह अपनी सहमती नहीं दे पाईं थी. कोर्ट ने इससे पहले इस प्रकार का तर्क नहीं सुना था. रुखमाबाई ने कोर्ट के बाहर भी अपनी यह लड़ाई जारी रखी. कई समाज सुधारकों के कानों में भी यह मामला आया.
डॉक्टर बन की 35 साल की सेवा
आखिरकार दादाजी(पति) को शादी भंग किया और मुआवजा स्वीकार किया. जिससे रुखमाबाई को जेल जाने से बचा लिया गया. इस मामले के बाद रुखमाबाई देश की पहली डॉक्टर बनीं. जिसके बाद लगातार 35 सालों तक उन्होंने समाज की सेवा की. 1955 में 91 वर्ष की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई.
देश की पहली महिला वकील का भी डूडल
गूगल ने इसी तरह 15 नवंबर को भारत की पहली महिला वकील कॉर्नेलिया सोराबाजी की जंयती पर डूडल बनाया था.
कॉर्नेलिया सोराबजी महाराष्ट्र की रहने वाली थीं. उनका जन्म 1866 में हुआ था. 1892 में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय
से कानून की पढ़ाई की थी लेकिन महिला होने की वजह से उन्हें डिग्री नहीं मिली. उसके बाद वह भारत में
आईं और कानूनी सलाहकार बनकर महिलाओं के हक के लिए लड़ने लगीं.
इलाहाबाद हाईकोर्ट बार में शामिल होने वाली पहली महिला वकील भी रहीं. बॉम्बे विश्वविद्यालय से कानून की
पढ़ाई पूरी की. उन्होंने बिहार, बंगाल और ओडिशा में भी कई केस लड़े. उन्होंने बड़े ही जोरशोर से महिलाओं
के लिए वकालत का पेशा खोलने की बात रखी, जिसके कारण 1923 में सरकार ने इसकी मंजूरी दे दी. पूरा जीवन
समाज सेवा के लिए लगाने के बाद 1954 में उनका निधन हो गया था.