जयपुर: राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले नेताओं के पॉलिटिकल पार्टी बदलने का सिलसिला तेज हो गया है. जैसे-जैसे चुनाव के दिन नजदीक आते जा रहे हैं राजस्थान की राजनीति में उथल-पुथल देखने को मिल रही है. नेताओं के पार्टी बदलने का सिलसिला भी शुरू हो चुका है.
पॉलीटिकल पार्टी बदलने का सिलसिला तेज
सोमवार को नागौर से पूर्व सांसद और दिग्गज नेता रहे नाथूराम मिर्धा की पोती ज्योति मिर्धा भाजपा का दामन थाम लिया है. गहलोत सरकार और कांग्रेस से निपटने के लिए कद्दावर कांग्रेस नेताओं को बीजेपी ने एक-एक कर अपने पाले में लेना शुरू कर दिया है. उनके साथ सवाई सिंह भी बीजेपी में शमिल हो गए हैं. राजस्थान भाजपा अध्यक्ष सीपी जोशी ने ज्योति मिर्धा को सदस्यता दिलाते हुए पार्टी में उनका स्वागत किया.
भाजपा का ये कदम विरोधी पार्टी कांग्रेस के लिए तगड़ा झटका है. मिर्धा के भाजपा में आने से भाजपा को तो मजबूती मिली है लेकिन कांग्रेस की चिंता बढ़ गई है. ज्योति मिर्धा का जाट समुदाय में दबदबा माना जाता है. ऐसे में ये खबर कांग्रेस के लिए किसी भी लिहाज से अच्छी नहीं है. ज्योति नागौर से कांग्रेस की सांसद रही हैं. ज्योति मिर्धा राजस्थान की राजनीति में बड़ा नाम हैं.
प्रदेश के जाट समुदाय में मिर्धा परिवार की अच्छी पकड़ रही है. कांग्रेस ने नागौर लोकसभा सीट से साल 2019 में ज्योति मिर्धा को चुनावी मैदान में उतारा था. भाजपा इन्हें हनुमान बेनीवाल के विकल्प के तौर पर देख रही है. 2009 में नागौर से सांसद रही ज्योति मिर्धा को 2014 में बीजेपी के सीआर चौधरी ने और 2019 में एनडीए गठबंधन की तरफ से RLP प्रत्याशी रहे हनुमान बेनीवाल ने हराया था. लेकिन इस बार भाजपा नागौर सीट पर गठबंधन से इनकार कर चुकी है. यह पहले ही माना जा रहा था कि भाजपा नागौर से किसी बड़े चेहरे को शामिल कर सकती है.
हनुमान बेनीवाल BJP नहीं करेगी गठबंधन
दिल्ली में हुए किसान आंदोलन के दौरान हनुमान बेनीवाल ने बीजेपी का साथ छोड़ दिया था. हनुमान बेनीवाल ने दावा किया है कि इस बार वह विधानसभा चुनाव में बड़ी पार्टियों भाजपा और कांग्रेस के साथ कोई गठबंधन नहीं करेंगे.
नागौर के खींवसर से तीन बार विधायक का चुनाव जीत चुके हनुमान बेनीवाल फिलहाल नागौर से सांसद और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के सुप्रीमो हैं. उनके भाई नारायण बेनीवाल खींवसर से विधायक है. उनकी पार्टी के कुल तीन विधायक हैं. ज्योति मिर्धा के भाजपा में आने से यह माना जा रहा है कि अब हनुमान बेनीवाल से भाजपा गठबंधन का विचार छोड़ चुकी है.