शिमला: हिमाचल बिजली बोर्ड में बड़े घरानों की एंट्री होने वाली है. केंद्र सरकार के 3,700 करोड़ के आरडीएसएस प्रोजेक्ट के जरिए कारपोरेट जगत प्रदेश में दखल को तैयार है. इस प्रोजेक्ट में बिजली के रखरखाव के साथ ही स्मार्ट मीटर लगाने की टेंडर प्रक्रिया पूरी की जा रही है.
चार फर्मों ने टेंडर हासिल करने के लिए किया आवेदन
इस प्रक्रिया में चार फर्मों ने टेंडर हासिल करने के लिए आवेदन किया है और इन फर्मों में सबसे बड़ा नाम अडानी ग्रुप का भी सामने आ रहा है. बिजली बोर्ड ने उत्तरी, दक्षिणी और केंद्रीय जोन के टेंडर बुलाए हैं. इस प्रक्रिया के तहत टेंडर हासिल करने वाली फर्म हिमाचल में स्मार्ट मीटर लगाएगी. स्मार्ट मीटर की कीमत करीब दस हजार रुपए रहेगी, जबकि केंद्र सरकार 1350 रुपए प्रति मीटर के हिसाब से भुगतान बिजली बोर्ड को करेगी. केंद्र के आरडीएसएस प्रोजेक्ट के तहत कुल 3700 करोड़ रुपए तय किए गए हैं.
इनमें 1900 करोड़ रुपए स्मार्ट मीटर पर खर्च होंगे, जबकि 1800 करोड़ रुपए आवश्यक रखरखाव पर खर्च होने हैं. इनमें रखरखाव वाले हिस्से में 90 फीसदी का प्रबंध केंद्र सरकार की तरफ से होगा, लेकिन अहम बात स्मार्ट मीटर को लेकर है. 1900 करोड़ रुपए के स्मार्ट मीटर में 400 करोड़ रुही सबसिडी के तौर पर मिलेंगे, जबकि 1500 करोड़ का खर्च राज्य बिजली बोर्ड को उठाना पड़ेगा.
बिजली बोर्ड कर्मचारी यूनियन ने टेंडर प्रक्रिया को रोकने की बात कही है. पूर्व में सरकार ने टेंडर प्रक्रिया को रोक भी दिया था, लेकिन बाद में इसे दोबारा से शुरू किया गया और अब टेंडर प्रक्रिया अंतिम दौर में है. बिजली बोर्ड के कार्यवाहक प्रबंध निदेशक हरिकेश मीणा ने टेंडर प्रक्रिया को जल्द पूरा करने की बात की है.
3000 की जाएगी नौकरी
बिजली बोर्ड कर्मचारी यूनियन के महासचिव हीरा लाल वर्मा ने बताया कि स्मार्ट मीटर योजना के लागू होते ही सबसे पहला असर उन 3000 कर्मचारियों पर पड़ेगा, जो आउटसोर्स पर बिजली बिल बांट रहे हैं. स्मार्ट मीटर लगने के बाद इन कर्मचारियों की जरूरत नहीं रहेगी. इसके बाद बिजली बोर्ड कर्मचारी और पेंशनर कारपोरेट घराने के अधीन आ जाएंगे. बिजली बोर्ड का घाटा भी बढ़ जाएगा, जबकि आखिर में सबसे बड़ा असर उपभोक्ताओं पर होगा.