नई दिल्ली. भारत की आर्थिक विकास दर चालू वित्तीय वर्ष में 7.5 फीसदी के अनुमान को पूरा नहीं कर पायेगी. यह बात केद्रीय वित्त मंत्री ने शुक्रवार को संसद में ‘आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट’ पेश करते हुए कही है. यह पहला मौका है जब एक वित्तीय वर्ष में दो बार यह ‘आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट’ पेश किया गया है. इससे पहले 31 जनवरी में यह रिपोर्ट आया था. तब चालू वित्तीय वर्ष में आर्थिक विकास दर 6.75-7.5 फीसदी के बीच रहने की उम्मीद जतायी गयी थी.
आर्थिक वृद्धि दर में कमी की मुख्य वजह जीएसटी, विनमय दर में तेजी, कृषि ऋण माफी है. हालांकि रिपोर्ट में सरकार और आरबीआई के कुछ फैसलों की प्रशंसा भी की गई है, जिनमें सस्ते ऋण की उपलब्धता और मौद्रिक नीति को नरम बनाने के प्रयास प्रमुख हैं. आरबीआई मंहगाई सूचकांक को 4 फीसदी से नीचे बनाये रखने में कामयाब रही है. वर्तमान में मंहगाई सूचकांक पांच सालों के न्यूनतम स्तर पर है. इसके साथ ही रिजर्व बैंक का रेपो दर भी 6 सालों में सबसे कम है.
रिपोर्ट के मुताबिक पहले तीन महीने में लगातार आर्थिक विकास की दर घटती रही है. जो अंतिम महीने में न्यूनतम स्तर पर पहुंच गयी.
विकास दर का निर्धारण जीडीपी, औद्योगिक उत्पादन सूचकांक, ऋण प्रवाह, निवेश और उत्पादन क्षमता के आधार पर किया जाता है.