नई दिल्ली. भाजपा ने गुजरात में एक बार फिर इतिहास रच दिया. पीएम मोदी के आसरे भाजपा ने 182 में से 156 सीटें (86%) जीत ली. यह राज्य के 62 साल के इतिहास में किसी पार्टी की सबसे बड़ी जीत है.
खास बात यह कि एंटी इन्कंबेंसी नहीं रहीं. क्योंकि, भाजपा ने पिछले चुनाव में जीती 92 सीटें इस बार भी जीत लीं. पिछले चुनाव में 77 सीटें जीती कांग्रेस 17 सीटों पर सिमट गई. 33 से 22 जिलों में खाता भी नहीं खोल पाई. 10% सीटें न होने के कारण कांग्रेस विपक्ष के नेता का पद भी खो सकती है. वहीं, आप सिर्फ 5 सीटें जीतकर राष्ट्रीय पार्टी बन गई.
पहली बार ऐसा कुछ हुआ है-
- पहली बार आदिवासी सीटों पर कांग्रेस साफ: आप ने आदिवासी इलाकों में कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाई. हालांकि वह 1 सीट जीती. भाजपा 23 और कांग्रेस 3 सीट जीती. 2017 में कांग्रेस 15, भाजपा 9 सीट जीती थी.
- भाजपा को 57% एससी सीटें ज्यादा: एससी की 13 सीटों में भाजपा 11, कांग्रेस 3 जीती हैं. 2017 में इनमें से कांग्रेस ने 6, भाजपा ने 7 सीट जीती थीं. दलित, कांग्रेसी जिग्नेश मेवाणी वडगाम सीट बचाने में सफल रहे.
- भाजपा ने मुस्लिम साधे, 15 सीटें जीतीं: 19 में से 15 मुस्लिम बहुल सीटें जीतीं. इनमें 6 सीटें ऐसी, जो पार्टी कभी नहीं जीत पाई थी.
- भाजपा को दोगुने वोट मिले: भाजपा को कांग्रेस से दोगुने वोट, यह किसी राज्य में सत्ता-विपक्ष के बीच का सबसे बड़ा अंतर. यानी वोट 2.5% बढ़े, सीटें 57 बढ़ गईं.
- भाजपा की सबसे बड़ी जीत: भाजपा ने किसी राज्य में 86% सीटें जीतीं, 2013 में राजस्थान में 82% सीटें हासिल की थीं। हालांकि, 7 बार जीतने वाली दूसरी पार्टी बनी। बंगाल में वाम दल 8 बार जीता था.
- सौराष्ट्र ने फिर चौंकाया: सौराष्ट्र में भाजपा ने अब तक की सबसे बड़ी जीत हासिल की है. पिछली बार भाजपा ने सौराष्ट्र-कच्छ रीजन में 23 और कांग्रेस ने 30 सीट जीती थीं. इस बार भाजपा ने रिकॉर्ड 46 सीट जीती है. कांग्रेस अपने गढ़ उत्तर गुजरात में भी हारी है. उसे 9 सीटों का नुकसान हुआ है.
- पाटीदार बहुल इलाकों में बड़ा बदलाव: भाजपा ने पाटीदार समुदाय के दबदबे वाली 61 में से 55 सीटें जीती हैं. आप के 5 प्रत्याशी में से 2 पाटीदार थे, लेकिन आप से लड़े पाटीदार समुदाय के तीन बड़े चेहरे अल्पेश कथीरिया, गोपाल इटालिया और धार्मिक मालविया हार गए. ओबीसी चेहरा सीएम उम्मीदवार इशुदान गढ़वी भी हार गए.
ऐतिहासिक जनमत में मोदी का जादू के साथ ये 3 बड़े कारण हैं
गुजरात में मोदी एक जादू है. आकर्षण है. सही है. सब जानते हैं. अगर प्रचंड जीत का यही एक कारण है तो मोदी का यही जादू 2017 में भी था. फिर पिछली बार भाजपा 99 पर क्यों अटक गई थी? गुजरात गठन के बाद से अब तक के तमाम चुनाव देखें तो किसी एक पार्टी को इतनी सीटें कभी नहीं मिलीं, जितनी इस बार भाजपा को मिली हैं. 1985 में माधवसिंह सोलंकी के नेतृत्व में कांग्रेस ने यहां सबसे ज्यादा 149 सीटें जीती थीं. लेकिन इसमें श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या से उपजी सहानुभूति लहर भी शामिल थी. इस बार भाजपा को ऐतिहासिक जनमत मिला है, तो मोदी के जादू के अलावा भी तीन बड़े कारण हैं. पहला आप को बढ़ा-चढ़ा कर पेश करना. दूसरा भाजपा का स्ट्रांग पन्ना प्रमुख नेटवर्क और तीसरा सात से आठ प्रतिशत कम मतदान.
निर्दलीय और अन्य कैंडिडेट्स ने गुजरात में 4 सीटें जीतीं. दिलचस्प बात यह है कि चुनाव प्रचार के दौरान PM मोदी ने कहा था- नरेंद्र का रिकॉर्ड भूपेंद्र तोड़ेंगे. चुनाव नतीजों में बिल्कुल यही नजर आ रहा है.
मोदी को गुजराती अपने गौरव से जोड़ते हैं
2014 में मोदी पीएम बने. गुजराती आज भी मानते हैं कि मोदी गुजरात में ही हैं. उन्हें वह अपने प्राइड से जोड़कर देखता है. गुजरातियों को लगता है कि मोदी ने गुजरात आकर कह दिया है तो अब इसके बाद किसी की बात सुनने की जरूरत नहीं. इस बार मोदी ने अहमदाबाद में सबसे लंबा 54 किलोमीटर का रोड शो, तीन और रोड शो, साथ ही 31 सभाएं कीं. 95% इलाकों में बीजेपी को जीत मिली है, लेकिन ये कहना गलत होगा कि ये सिर्फ मोदी के दम पर है.
हिंदुत्व और विकास का पैकेज
सभी जानते हैं कि हिंदुत्व की प्रयोगशाला गुजरात से शुरू हुई थी. 2002 के गोधरा दंगों के बाद भाजपा ने हिंदुत्व के मुद्दे पर 127 सीटों के साथ ऐतिहासिक जीत हासिल की थी. फिर 2003 में वाइब्रेंट गुजरात समिट की शुरुआत की. विकास का नया गुजरात मॉडल बनाया. फिर राम मंदिर, तीन तलाक और धारा 370 का खात्मा.
मोदी बोले- गुजरात की जन-शक्ति के आगे सिर झुकाता हूं
गुजरात में BJP की विराट जीत के बाद PM मोदी ने गुजरात की जनता को धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा- गुजरात आपका धन्यवाद. ऐसे नतीजे देखकर मैं अभिभूत हूं. लोगों ने विकास की राजनीति को अपना आशीर्वाद दिया है और यह भी बता दिया है कि वे इस विकास को और भी तेजी से जारी रखना चाहते हैं. मैं गुजरात की जन-शक्ति के आगे सिर झुकाता हूं.
उन्होंने कहा कि मैं बड़े-बड़े एक्सपर्ट को याद दिलाना चाहता हूं कि विकसित गुजरात से विकसित भारत का निर्माण होगा. गुजरात के नतीजों ने सिद्ध कर दिया है कि देश के सामने जब कोई चुनौती होती है तो जनता का भरोसा भाजपा पर होता है.
12 दिसंबर को गांधीनगर में CM पद की शपथ लेंगे पटेल
गुजरात में गुरुवार सुबह 8 बजे से पहले आधे घंटे में पोस्टल बैलेट्स की गिनती के बाद EVM से काउंटिंग शुरू हुई थी. गुजरात भाजपा प्रमुख CR पाटिल ने बताया कि 12 दिसंबर को दोपहर 2 बजे भूपेंद्र पटेल मुख्यमंत्री पद शपथ लेंगे. शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह शामिल होंगे.
CM बोले- जनता को भाजपा पर भरोसा
गुजरात के CM भूपेंद्र पटेल ने कहा कि गुजरात विधानसभा चुनाव का जनादेश अब स्पष्ट हो चुका है, यहां की जनता ने मन बना लिया है कि दो दशक से चली आ रही गुजरात की इस विकास यात्रा को अविरत चालू रखना है. यहां के लोगों ने एक बार फिर BJP पर अटूट भरोसा दिखाया है.
भाजपा के बागी भी हारे
AIMIM ने पहली बार गुजरात विधानसभा चुनाव में हिस्सा लिया था. AIMIM ने कुल 13 में से 2 हिंदू कैंडिडेट ही मैदान में उतारे थे. पार्टी के सभी कैंडिडेट चुनाव हार गए. वडोदरा की वाघोडिया सीट से भाजपा के बागी मधु श्रीवास्तव भी चुनाव हार गए. कुतियाणा में लेडी डॉन संतोकबेन जडेजा के बेटे कांधल जडेजा निर्दलीय कैंडिडेट के तौर पर चुनाव जीत गए हैं.
भाजपा चुनाव से पहले सारे मंत्रियों को बदलने का प्रयोग आगे भी कर सकती है
गुजरात में 27 साल से भाजपा की सरकार है. एंटी इनकम्बेंसी से निपटने के लिए चुनाव से एक साल पहले मुख्यमंत्री और सारे मंत्रियों को बदल दिया गया. इसका असर रिजल्ट में ऐतिहासिक जीत के रूप में दिखा. ऐसे में अगले साल मध्य प्रदेश में होने वाले चुनाव समेत भाजपा शासित राज्यों में ये प्रयोग देखने को मिल सकता है. साथ ही मोदी-शाह की जोड़ी पर देश और भाजपा का विश्वास और बढ़ा है. इससे 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा अपने एजेंडे पर तेजी से बढ़ेगी.
AAP को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिला
आम आदमी पार्टी गुजरात में महज 5 सीटें जीत सकी है. उसके तीनों बड़े नेता चुनाव हार गए हैं. इनमें मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार इसुदान गढ़वी, प्रदेश अध्यक्ष गोपाल इटालिया और पाटीदार नेता अल्पेश कथीरिया शामिल है. इसके बावजूद वोट शेयर के आधार पर AAP को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल गया है.. अब पार्टी पूरे देश में अपने नाम और चुनाव चिह्न के साथ लड़ सकेगी.