नई दिल्ली. उत्तराखंड के हरिद्वार में लगने वाले अर्धकुंभ मेला 2027 की तैयारी अब तेज़ी पकड़ चुकी है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने प्रस्तावित तारीखों को मंजूरी दे दी है, जबकि राज्य सरकार की तरफ से आधिकारिक घोषणा जल्द ही की जाएगी। विभिन्न अखाड़ों के संत, महात्मा और साधु-संतों ने अपनी तैयारियाँ शुरू कर दी हैं। यह मेला आध्यात्मिकता, साधना और गंगा स्नान के लिए विश्वभर से आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं का केंद्र बनने जा रहा है।
तीन प्रमुख शाही स्नान की तारीखें घोषित
अखाड़ा परिषद ने अर्धकुंभ के तीन मुख्य शाही स्नान (Royal Bathing Days) की तारीखें तय कर दी हैं:
पहला शाही स्नान – 6 मार्च 2027 (महाशिवरात्रि)
शिव भक्तों के लिए विशेष दिन, आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर।
दूसरा शाही स्नान – 8 मार्च 2027 (सोमवती अमावस्या)
अमावस्या का यह दुर्लभ संयोग स्नान को और अधिक पवित्र बनाता है।
तीसरा शाही स्नान – 14 अप्रैल 2027 (बैसाखी/मेष संक्रांति)
नया साल और ऊर्जा का पर्व, हजारों वर्षों से श्रद्धा का केंद्र।
इन दिनों गंगा स्नान के लिए लाखों नहीं, करोड़ों श्रद्धालु हरिद्वार आएंगे। स्नान के साथ साधना, यज्ञ, ध्यान, भजन और प्रवचन का आयोजन होगा।
परंपरा और आधुनिकता का संगम
अर्धकुंभ हर 6 साल में आयोजित होता है और यह पूर्ण कुम्भ (हर 12 वर्ष) के बीच होता है। हरिद्वार और प्रयागराज (इलाहाबाद) में इसका आयोजन बारी-बारी से होता है। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्री महंत रविंद्र पुरी ने कहा:
“कुंभ और अर्धकुंभ की परंपरा हजारों वर्षों पुरानी है। गंगा में स्नान कर मनुष्य अपने पापों से मुक्त होकर आध्यात्मिक उन्नति की राह पर बढ़ता है। 2027 में हरिद्वार में अर्धकुंभ होगा जबकि नासिक में जुलाई-अगस्त में सिंहस्थ कुम्भ का आयोजन होगा।”
उन्होंने यह भी बताया कि अखाड़ा परिषद ने पेषवाई (शाही जुलूस), अस्थायी शिविर, सुरक्षा व्यवस्था, स्वच्छता और प्रशासनिक समन्वय की तैयारियाँ पहले ही शुरू कर दी हैं।
सरकार की आधिकारिक घोषणा बाकी
हालाँकि तारीखें घोषित हो गई हैं, लेकिन उत्तराखंड सरकार से आधिकारिक घोषणा बाकी है। आने वाले महीनों में विस्तृत कार्य योजना पर काम शुरू होगा। प्राथमिकताएँ इस प्रकार हैं:
गंगा घाटों का विस्तार और सफाई
यातायात और परिवहन सुविधाओं का सुधार
चिकित्सा शिविर, आपातकालीन सेवाएं और अस्थायी आवास की व्यवस्था
डिजिटल मॉनिटरिंग और भीड़ नियंत्रण तकनीकों का उपयोग
करोड़ों श्रद्धालुओं के आने की संभावना को देखते हुए प्रशासन, पुलिस, स्वास्थ्य विभाग और धार्मिक संस्थाओं के बीच तालमेल बेहद आवश्यक होगा।
नासिक में सिंहस्थ कुम्भ भी होगा
हरिद्वार में अर्धकुंभ के बाद नासिक, महाराष्ट्र में सिंहस्थ कुम्भ जुलाई–अगस्त 2027 में आयोजित होगा। यह आयोजन समुद्र मंथन की पौराणिक कथा से जुड़ा है। नासिक और उज्जैन जैसे धार्मिक स्थल कुम्भ परंपरा का हिस्सा हैं और लाखों श्रद्धालु यहाँ भी एकत्र होंगे।
आध्यात्मिक महत्व और अनुमानित श्रद्धालु संख्या
कुंभ और अर्धकुंभ केवल धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि एक विश्वस्तरीय आध्यात्मिक मिलन हैं। यहाँ नगा साधु, संत, योगी, श्रद्धालु और विदेशी पर्यटक भी शामिल होते हैं। प्रवचन, भजन, ध्यान शिविर और यज्ञ का आयोजन होता है।
2021 में कोविड-19 के कारण आयोजन सीमित रहा था, लेकिन 2027 में पूर्ण रूप से आयोजन होगा। अनुमान है कि 10 करोड़ से अधिक श्रद्धालु इस दौरान गंगा स्नान और धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लेंगे।
पहली बड़ी मंजूरी मिल गई
अखाड़ा परिषद की तरफ से अर्धकुंभ 2027 की तारीखें घोषित कर दी गई हैं। अब सभी की निगाहें उत्तराखंड सरकार पर हैं, जो जल्द ही कार्य योजना की घोषणा करेगी। तैयारियाँ शुरू हो चुकी हैं और हरिद्वार एक बार फिर से विश्व की आध्यात्मिक राजधानी बनने की ओर बढ़ रहा है।
