शिमला. हिमाचल में नए उद्योग स्थापित करने के लिए पूर्व भाजपा सरकार ने न केवल देश, बल्कि विदेशों में भी इनवेस्टर्स मीट की. तब राज्य में 1.25 लाख करोड़ रुपए के MOU साइन किए गए. मगर, अब तक इनमें से लगभग 13 हजार करोड़ (10%) निवेश ही राज्य में हो पाया.
राज्य के उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि पूर्व सरकार में जो कमियां रही हैं, उन्हें दूर किया जाएगा. इसके लिए सुक्खू सरकार पॉलिसी और प्रोग्राम चेंज कर रही है. उन्होंने कहा कि लगभग 10 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट भू अधिनियम 118 एक्ट की जटिल शर्तों के कारण भी आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं. सरकार इसे लेकर भी विचार कर रही है.
सिंगल विंडो की जगह बजट सत्र में नया सिस्टम
हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि सिंगल विंडो सिस्टम के भी अच्छे परिणाम नहीं मिल रहे हैं. इसे देखते हुए सिंगल विंडो की जगह उद्योगों की क्लीयरेंस के लिए नया सिस्टम लाने जा रही है. इसे विधानसभा में अध्यादेश लाकर कानूनी रूप दिया जाएगा.
जरूरी हुआ तो विदेश जाकर लाएंगे निवेशक
उद्योग मंत्री ने कहा कि जरूरत पड़ी तो मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू की हरी झंडी के बाद विदेश जाकर भी इन्वेस्टर को हिमाचल में निवेश के लिए बुलाएंगे, क्योंकि राज्य की वित्तीय स्थिति अच्छी नहीं है. ऐसे में आय और रोजगार के साथ सृजित करने के लिए प्रदेश में उद्योगों की आवश्यकता है.
लैंड बैंक बढ़ाने की कोशिश कर रही सरकार
हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि राज्य में निवेश बढ़ाने के लिए लैंड बैंक बढ़ाने की कोशिश कर रहे है. उन्होंने कहा कि “हमने IT क्षेत्र की कंपनियों के लिए कांगड़ा में जमीन की पहचान कर ली है. हम चाहते हैं कि यहां बड़ी IT कंपनियां आकर निवेश करें. उन्होंने कहा कि सरकार जल्द ही ऊना में बल्क ड्रग पार्क के लिए एक इंटरनेशनल कंसल्टेंट नियुक्त करेंगे. नालागढ़ में मेडिकल डिवाइस पार्क का काम भी शुरू हो गया है. हम इन परियोजनाओं को जल्द पूरा करने की कोशिश करेंगे.
सरकार निवेशकों की समस्याओं के समाधान का प्रयास करेगी
उद्योग मंत्री ने कहा कि MOU साइन करने के बाद भी निवेशक निवेश करने से क्यों कतरा रहे हैं? ऐसा क्यों हो रहा है? इसके कारण जानने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं. अधिकारियों से रिपोर्ट मिलने के बाद सरकार निवेशकों की समस्याओं के समाधान का प्रयास करेगी.