शिमला. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने शुक्रवार देर शाम विश्व बैंक के प्रतिनिधिमंडल और परियोजना अधिकारियों के साथ आयोजित बैठक की. इस दौरान उन्होंने कहा कि इस साल अप्रैल से विश्व बैंक द्वारा पोषित 700 करोड़ रुपए की स्त्रोत स्थिरता तथा जलवायु तन्यक वर्षा आधारित कृषि एकीकृत विकास परियोजना (आईडीपी) शुरू होने वाली है. उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर प्रदेश में वर्षा-जल पर निर्भर खेतीहरों की स्थिति में बदलाव लाएगी.
लघु किसानों को जोड़ा जाएगा
यह परियोजना कृषि प्रचलन तथा सबंध गतिविधियों के माध्यम से किसानों की आय में दोगुनी वृद्धि करने पर आधारित होगी. विश्व बैंक की इस परियोजना के क्रियान्वयन में व्यय का 80 प्रतिशत हिस्सा भारत सरकार तथा 20 प्रतिशत हिस्सा राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा. इस परियोजना से लघु किसानों को जोड़ा जाएगा तथा ग्रामीण युवाओं को विभिन्न आजीविका गतिविधियों के बारे प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा, ताकि रोजगार के अवसर उपलब्ध हों.
प्राकृतिक खेती के स्वप्न को साकार करने में सहायक
मुख्यमंत्री ने कहा कि परियोजना से मौजूदा जल स्त्रोतों का भी सुदृढ़ीकरण होगा, जिनकी उत्पत्ति मुख्य रूप से ऊंचे जलग्रहण तथा वन क्षेत्रों से होती है. यह परियोजना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की शून्य लागत प्राकृतिक खेती के स्वप्न को साकार करने में भी सहायक होगी. उन्होंने कहा कि परियोजना के क्रियान्वयन से प्रदेश में यह खेती और भी प्रचलित होगी.
रंजन समान्तरे और कृस जैक्सन
जयराम ठाकुर ने कहा कि किसान दूध उत्पादन में वृद्धि, इसके विद्यायन तथा गुणवत्ता में वृद्धि के माध्यम से भी लाभान्वित होंगे. प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में मत्स्य पालन के साथ-साथ केंचुआ खाद को भी बढ़ावा मिलेगा. रंजन समान्तरे और कृस जैक्सन की अध्यक्षता में विश्व बैंक के दल ने परियोजना के बारे विस्तृत जानकारी दी.
वन मंत्री गोविन्द सिंह ठाकुर, भाजपा राज्य अध्यक्ष सतपाल सत्ती, भाजपा के राज्य प्रवक्ता रणधीर शर्मा, अतिरिक्त मुख्य सचिव वन तरूण कपूर, प्रधान मुख्य अरण्यपाल डॉ. जी.एस. गोराया और मुख्य परियोजना निदेशक डॉ. वी. आर.आर. सिंह, क्षेत्रीय परियोजना निदेशक पवनेश शर्मा सहित अन्य गणमान्य भी इस अवसर पर उपस्थित थे.