शिमला. हिमाचल की राजनीति में पिछले कई सालों से लोगों को दो ही चेहरे प्रोफेसर प्रेम कुमार धूमल और राजा वीरभद्र सिंह मुख्य तौर पर देखने को मिलते थे लेकिन 2022 के चुनावों में इन दोनों चेहरों में से कोई भी देखने को नहीं मिलेगा.
हिमाचल की सियासत में ढाई दशक का समय ऐसा रहा है, जब मुख्यमंत्री की दौड़ महज दो दिग्गजों के बीच रही है. इस बार पहाड़ की सियासत में नया युग कहा जाएगा. इसके पिछे कारण ये है कि मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए रेस में न तो वीरभद्र सिंह हैं और न ही प्रेम कुमार धूमल. वीरभद्र सिंह का निधन हो चुका है वहीं प्रेम कुमार धूमल चुनाव नहीं लड़ रहे हैं.
2017 में चेहरे थे दोनों नेता
साल 2017 के चुनाव में कांग्रेस ने वीरभद्र सिंह को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया था. सोलन की एक चुनावी सभा में राहुल गांधी ने कहा था कि हिमाचल में कांग्रेस का एक ही चेहरा है और वो वीरभद्र सिंह हैं. भाजपा में अमित शाह ने सिरमौर की रैली में प्रेम कुमार धूमल को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया था.
2017 में एक खुद जीता तो दूसरे की पार्टी
2017 में वीरभद्र सिंह खुद तो अर्की से चुनाव जीत गए लेकिन कांग्रेस पार्टी हार गई. इसी तरह भाजपा तो रिकार्ड सीटों से जीत गई लेकिन प्रेम कुमार धूमल अपनी सीट अप्रत्याशित तरीके से हार गए.
धुमल की हार के बाद किस्मत की चाबी ने सत्ता का ताला जयराम ठाकुर के लिए खोला. वे हिमाचल के मुख्यमंत्री बने और पहली बार मंडी जिले से कोई नेता मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचा. चुनाव के बाद वीरभद्र सिंह सेहत और अन्य कारणों से वे नेता प्रतिपक्ष नहीं बने. मुकेश अग्निहोत्री सदन में नेता प्रतिपक्ष बने. वहीं प्रेम कुमार धूमल एक तरह से नेपथ्य में चले गए.
प्रेम कुमार धूमल इस साल चुनावी मैदान में उतर सकते थे लेकिन सियासी परिस्थितियां कह रही थीं कि हाईकमान शायद ही धूमल के चुनाव लडने के पक्ष में हों. अब भाजपा की टिकटों का फैसला हो गया है और प्रेम कुमार धूमल न तो चुनावी रेस में हैं और न ही आने वाले समय में अगर भाजपा रिपीट होती है तो उनके मुख्यमंत्री होने का कोई चांस है. वहीं वीरभद्र सिंह अब इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन कांग्रेस उनके चेहरे को आगे रखकर और उनके विकास मॉडल की दुहाई देकर चुनावी मैदान में जरूर है. छह बार हिमाचल में सत्ता की कमान संभालने वाले वीरभद्र सिंह जुलाई 2021 में देह त्याग गए.
1998 के बाद ये पहला मौका जब धुमल – वीरभद्र मैदान में नहीं
इस तरह साल 2022 के चुनाव में हिमाचल की राजनीति के दो सबसे बड़े नाम इस बार न तो चुनाव में हैं और न ही मुख्यमंत्री की रेस में. पहली बार वीरभद्र और धूमल के बगैर हो रहा चुनाव ये बात अलग है कि दिवंगत होने के बावजूद कांग्रेस वीरभद्र सिंह के चेहरे को आगे करके चुनाव लड़ रही है और भाजपा हिमाचल में प्रेम कुमार धूमल को अपना वरिष्ठ नेता मानकर उनके मार्गदर्शन को महत्वपूर्ण मान रही है. इन सब बातों के बावजूद ये तथ्य है कि साल 1998 के बाद ये पहला मौका है, जब वीरभद्र सिंह और प्रेम कुमार धूमल चुनाव मैदान में न तो प्रत्याशी और न ही मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में मौजूद हैं.