नई दिल्ली. हिमाचल प्रदेश में लंबे समय से टल रहे पंचायत चुनाव को लेकर राज्य सरकार ने सोमवार को हाईकोर्ट को आश्वस्त किया कि पंचायत चुनाव की प्रक्रिया 21 जनवरी 2026 तक शुरू कर दी जाएगी।
सरकार के इस आश्वासन के कुछ ही घंटे बाद, राज्य चुनाव आयोग ने मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट 2020 के एक महत्वपूर्ण प्रावधान को लागू करते हुए यह अधिसूचना जारी कर दी कि अब राज्य में किसी भी पंचायत या नगर निकाय की सीमाओं, ढांचे या वर्गीकरण में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। यह कदम चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और समयबद्धता सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।
हाईकोर्ट ने सरकार और चुनाव आयोग को जारी किया नोटिस
मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायमूर्ति जिया लाल भारद्वाज की खंडपीठ ने राज्य सरकार और राज्य चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है और 22 दिसंबर को जवाब दाखिल करने को कहा है। यह सुनवाई एक जनहित याचिका (PIL) पर हुई, जिसमें पंचायत चुनाव को टालने के सरकारी फैसले को चुनौती दी गई थी।
याचिकाकर्ता की दलील: चुनाव हर 5 साल में करवाना संविधान का निर्देश
याचिकाकर्ता के वकील मंदीप चंदेल ने कोर्ट को बताया कि यह पीआईएल दिक्कन कुमार ठाकुर द्वारा दायर की गई है। संविधान के अनुच्छेद 243(ई) में स्पष्ट प्रावधान है कि पंचायत चुनाव हर पाँच साल में समय पर कराना अनिवार्य है। सरकार द्वारा आपदा के नाम पर लगातार देरी करना उचित नहीं है।
उन्होंने कहा, “पूर्व में सरकार ने सड़कों और संपत्तियों को हुए नुकसान का हवाला दिया था, लेकिन यह कारण अनिश्चितकाल तक नहीं चल सकता। चुनाव समय पर कराना राज्य चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है।”
सरकार ने आपदा प्रबंधन कानून के तहत टाले थे चुनाव
अक्टूबर में राज्य सरकार ने आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत आदेश जारी कर पंचायत एवं स्थानीय निकाय चुनावों को स्थगित किया था।
कारण बताए गए थे भारी बारिश से सड़कें क्षतिग्रस्त, सरकारी व निजी संपत्तियों का नुकसान, और कई इलाकों में आवाजाही बाधित होना। सरकार का तर्क था कि जब तक राज्य में उचित कनेक्टिविटी बहाल नहीं होती, तब तक चुनाव कराने से आम जनता और मतदान कर्मियों को परेशानी होगी, और कुछ मतदाता मतदान के अधिकार से वंचित हो सकते हैं।
सीमाओं में बदलाव रोकने वाला आदेश क्यों ज़रूरी?
सरकार के निर्देश के बाद पंचायतों के पुनर्गठन (reorganization) की प्रक्रिया शुरू हुई थी, जिससे चुनाव 2 महीने और पीछे खिसक सकते थे। इसी बीच, सोमवार को जारी अधिसूचना के तहत किसी भी पंचायत या पालिका की सीमा,
वार्ड संरचना या वर्गीकरण में कोई बदलाव नहीं किया जा सकेगा। राज्य चुनाव आयुक्त अनिल कुमार खाची ने कहा, “यह अधिसूचना सिर्फ यह सुनिश्चित करने के लिए है कि अब किसी भी वार्ड का पुनर्निर्धारण या सीमांकन न किया जाए।”
अब आगे क्या?
हाईकोर्ट अगली सुनवाई 22 दिसंबर को करेगा। सरकार को इस तारीख तक अपना जवाब दाखिल करना होगा। अधिसूचना लागू होने के बाद माना जा रहा है कि पंचायत चुनाव समय पर आयोजित करने की प्रक्रिया तेज हो जाएगी।
