शिमला. हिमाचल को इस बार भी केंद्रीय बजट से अपने अधूरे पड़े रेलवे प्रोजेक्टों को विस्तार मिलने की उम्मीद है. 1 फरवरी को पेश होने वाले केंद्रीय बजट में आधे अधूरे प्रोजेक्टस को पूरा करने के लिए कितना बजट मिलता हैं, यह वक्त बताएगा.
लेकिन अभी तक जो प्रोजेक्ट शुरू किए गए हैं, उनमें से कई प्रोजेक्ट जमीन अधिग्रहण न होने और बजट न मिलने के कारण लटके हुए हैं. ज्यादातर प्रोजेक्टों पर सर्वे का काम आधा भी पूरा नहीं हो सका. पर्यटन हब होने के बावजूद आज भी प्रदेश की बड़ी आबादी और यहां आने वालों को रेल सुविधा का लाभ नहीं मिल रहा.
भानुपल्ली-बिलासपुर-लेह तक रेलवे लाइन
भानुपल्ली बिलासपुर लेह रेलवे लाइन का अभी तक महज 10 किलोमीटर का काम ही हुआ है. लेह तक इस रेलवे लाइन की दूरी करीब 475 किलोमीटर है. अभी महज इसे बिलासपुर के बरमाणा तक ही बनाया जा सका है. यह रेलवे लाइन 2008-09 में केंद्र की ओर स्वीकृत की गई थी. तब से लेकर अब तक महज 10 किलोमीटर लंबा ट्रैक ही बन पाया है. इस परियोजना की कुल लागत 2967 करोड़ है.
बजट को अभी मंजूरी नहीं मिली इस वजह से भी काम धीमा
इस रेलवे लाइन को बिछाने का काम चल तो रहा है, लेकिन रेल लाइन को बिछाने के लिए जमीन अधिग्रहण की अभी तक बातचीत ही चल रही है. वहीं कुछ बजट मिला है, लेकिन अधिकतर बजट को अभी मंजूरी ही नहीं मिली. अगर यह रेल लाइन बनकर तैयार हो जाती है तो इससे सबसे बड़ा फायदा हिमाचल के लोगों के साथ-साथ सेना के जवानों को होगा. वे लेह तक अपना सामान रेलवे नेटवर्क के माध्यम से आसानी से पहुंचा सकते हैं.
मुआवजे की राशि केंद्र से मिलनी है
रेल परियोजना की जद में आ रही भूमि के मुआवजे के लिए 146 करोड़ प्रशासन के पास आए हैं, जिनमें से अब तक करीब 124 करोड़ रुपए भू-मालिकों में आंबटित किया जा चुका है, जबकि अभी भी कुछ पैसा केंद्र से आना है.
ये बड़े प्रोजेक्ट कागजों तक ही सीमित
केंद्र के अब तक के बजटों में प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्रों बद्दी, बरोटीवाला, नालागढ़, कालाअंब तथा पांवटा साहिब की रेललाइन की सर्वे का जिक्र तो किया जाता था, लेकिन इसके लिए किसी तरह की मंजूरी ही नहीं मिली.