सरकाघाट (मंडी). मंडी जिले की सरकाघाट विधानसभा में इस बार इस बार ईवीएम बेहद दिलचस्प मुकाबले की गवाह बनने वाली है. हर बार की तरह भाजपा और कांग्रेस का जनाधार मजबूत तो है मगर रूठे हुए वरिष्ठ नेता और निर्दलीय उम्मीदवार चुनावी गणित बिगाड़ सकते हैं. पार्टी के रणनीतिकार इन चुनौतियों से उबरने के लिए दिनरात सिर खपाए हुए हैं.
भाजपा से दो बार के विजेता, कांग्रेस को जिलाध्यक्ष पर भरोसा
सरकाघाट सीट कांग्रेसी नेता रंगीला राम राव की विरासत समझी जाती थी. हालांकि दो बार की हार से पार्टी का भरोसा उनपर कम हुआ और कांग्रेस ने युवा नेता और जिलाध्यक्ष पवन ठाकुर को टिकट दिया. दूसरी तरफ भाजपा ने दो बार के विजेता कर्नल इंद्र सिंह को इस बार हैटट्रिक बनाने का मौका दिया है. कर्नल पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल के करीबी माने जाते हैं.
अन्य दल भी बहा रहे पसीना
सरकाघाट सीट पर माकपा से मुनीश शर्मा, बसपा से राजकुमार, लोक गठबंधन पार्टी से पारो देवी और निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जगदीश चंद, मोती राम, संजीव कुमार तथा हेमराज भी चुनावी मैदान में हैं। विधानसभा क्षेत्र में यह भी दिनरात मेहनत कर रहे हैं और इनके समर्थकों की संख्या भी बढ़ रही है जो भाजपा और कांग्रेस के लिए परेशानी का सबब है. दोनों पार्टियों को डर है कि निर्दलीय व अन्य उनके वोटबैंक में सेंध न लगा लें. इस चुनौती से जूझने के लिए पार्टियों के थिंकटैंक दिनरात काम कर रहे हैं.