नई दिल्ली: हाल ही में प्रकाशित McKinsey Demographic Report और United Nations World Population Prospects 2024 के अनुसार, भारत की जनसंख्या 2061 में अपने पीक पर पहुंचकर 1.7 अरब हो जाएगी। इसके बाद इसमें गिरावट देखने को मिलेगी, लेकिन इसके बावजूद भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बना रहेगा। UN रिपोर्ट के मुताबिक, 2100 तक भारत की जनसंख्या 1.5 अरब होगी, जबकि China Population गिरकर केवल 63.3 करोड़ तक सीमित रह जाएगी। यानी भारत की आबादी चीन से दोगुनी से अधिक होगी।
प्रजनन दर में गिरावट, फिर भी आबादी में बढ़त
McKinsey की रिपोर्ट बताती है कि भारत की Fertility Rate (प्रजनन दर) अब 1.98 प्रति महिला है, जो कि 2.1 के replacement level से नीचे है। इसके बावजूद, जनसंख्या 2061 तक बढ़ेगी क्योंकि वर्तमान में युवाओं की संख्या अधिक है। चीन की तुलना में भारत की जनसंख्या संरचना अभी भी young population पर केंद्रित है। चीन की प्रजनन दर केवल 1.14 प्रति महिला है, जो उसकी population decline की मुख्य वजह बन रही है।
Aging Population बनेगी भारत की अगली चुनौती
रिपोर्ट चेतावनी देती है कि 2050 तक भारत में working population to senior citizen ratio घटकर 4.6:1 हो जाएगा, जो अभी 10:1 है। 2100 तक यह अनुपात 1.9:1 रह जाएगा — जो आज के Japan Demographic Pattern से मिलता-जुलता है। इससे pension burden, healthcare costs, और family caregiving pressure काफी बढ़ने की आशंका है।
महिलाओं की भागीदारी से मिल सकता है समाधान
रिपोर्ट का सुझाव है कि भारत अपनी female workforce participation को बढ़ाकर इस demographic slowdown से निपट सकता है। अभी भारत में 20-49 आयु वर्ग की महिलाओं की labour force participation rate केवल 29% है, जबकि कई उभरती अर्थव्यवस्थाओं में यह 50-70% तक है। यह वृद्धि न केवल भारत की economic productivity को बढ़ाएगी, बल्कि global consumer market share में भारत की हिस्सेदारी को 2050 तक 9% से 16% तक ले जा सकती है।
भारत के लिए क्या होंगे ज़रूरी कदम?
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि भारत को 2061 के बाद population decline phase में भी मजबूत रहना है, तो उसे अभी से बड़े सुधारों की जरूरत है: