शिमला. हिमाचल सरकार औद्योगिक निवेश के प्रस्तावों में सिंगल विंडो सिस्टम को पूरी तरह बदलने जा रही है. दो दिन पहले मुख्यमंत्री सुखविंद्र सुक्खू की अध्यक्षता में हुई रिव्यू मीटिंग में इन्वेस्टमेंट ब्यूरो को लेकर कुछ अंतिम निर्देश दिए गए थे. उसके बाद इसका ड्राफ्ट फाइनल हो गया है.
अब सिंगल विंडो नहीं सिंगल रूफ सिस्टम होगा लागू
मंगलवार को कैबिनेट में इसे रखा जाएगा और बुधवार को विधानसभा में इसे लेकर एक विधेयक लाया जा रहा है. इसके कानून बनते ही औद्योगिक निवेश के मामले में प्रक्रिया पूरी तरह बदल जाएगी. सरकार के इस कदम से राज्य में अब सिंगल विंडो नहीं, बल्कि सिंगल रूफ सिस्टम लागू होगा. यानी उद्योगपति सिर्फ पैसा लगाएंगे और उनके उद्योग को लगाने के लिए सारी क्लीयरेंस इन्वेस्टमेंट ब्यूरो लेकर देगा. ये सारी सुविधाएं एक ही छत के नीचे मिलेंगी. इसके लिए इन्वेस्टमेंट ब्यूरो में चार अन्य विभागों के अधिकारियों को भी दायरे में लाया जा रहा है. इसमें राज्य बिजली बोर्ड, जल शक्ति विभाग, टीसीपी और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड शामिल है.
इन्वेस्टमेंट ब्यूरो का ड्राफ्ट तैयार
इससे पहले सिंगल विंडो सिस्टम में औद्योगिक प्रस्ताव को मंजूरी दी जाती थी, जबकि मंजूरियां उद्योगपति को खुद इन विभागों के पास जाकर लेनी पड़ती थी. यह क्लीयरेंस देने के लिए समयबद्ध प्रक्रिया फाइनल हो रही है और इस प्रक्रिया के दायरे में धारा 118 की अनुमति दी आएगी. हिमाचल में ग्रीन कैटेगरी का उद्योग लगाने के लिए भी प्री इन्वेस्टमेंट और प्री ऑपरेशन स्टेज पर भी करीब 20 तरह की क्लीयरेंस चाहिए होती हैं. रेड कैटेगरी की इंडस्ट्री के लिए इनकी संख्या दोगुनी हो जाती है. इसलिए एक उद्योग को लगाने में एक से दो साल इसी प्रक्रिया में लग जाते हैं. राज्य सरकार इस अवधि को कम करना चाहती है. इसके लिए राजस्थान, पंजाब, तेलंगाना और तमिलनाडु जैसे राज्यों का मॉडल भी स्टडी किया गया. इसके बाद इन्वेस्टमेंट ब्यूरो बनाने का फैसला हुआ है. ब्यूरो की
धारा 118 की काट के लिए लैंड बैंक
इन्वेस्टमेंट ब्यूरो के साथ ही उद्योग विभाग टेनेंसी एंड लैंड रिफॉर्म एक्ट की धारा 118 का असर कम करने के लिए एक्टिव लैंड बैंक बनाने जा रहा है. इसके लिए हिमाचल में निवेश के आठ प्रायरिटी सेक्टर चिन्हित किए गए हैं. राज्य सरकार जमीन पहले अपने पास लेगी और उसके बाद उद्योगपतियों को दी जाएगी. राज्य में बनने वाले आईटी पार्क के लिए भी यही फार्मूला अपनाया गया है. इससे निजी जमीन खरीदने की जरूरत नहीं होगी और निजी जमीन पर लगने वाली धारा 118 की बंदिश भी नहीं लगेगी. हालांकि लैंड बैंक की बात विभाग काफी बार कर चुका है, लेकिन इसके नतीजे अब तक ज्यादा अच्छे नहीं रहे हैं.
