नई दिल्ली. भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (ISRO) ने आधिकारिक तौर पर पुष्टि की है कि देश अब मंगल पर उतरने की दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रहा है। इसरो के चेयरमैन डॉ. वी. नारायणन ने बताया कि ‘मंगलयान-2 मिशन’ (Mangalyaan-2 Mission) वर्ष 2030 में लॉन्च किया जाएगा, और यह भारत का पहला Mars Landing Mission होगा।
मंगलयान-1 के 12 साल बाद फिर इतिहास रचने की तैयारी
साल 2013 में लॉन्च हुए पहले मंगलयान मिशन ने भारत को दुनिया भर में गौरवान्वित किया था।
भारत एशिया का पहला देश बना जो मंगल की कक्षा (Mars Orbit) में पहुंचा।
यह दुनिया का पहला देश था जिसने पहले ही प्रयास में मंगल तक पहुंचने में सफलता हासिल की।
मंगलयान ने सात साल से ज्यादा समय तक काम किया और मंगल के वातावरण, जलवायु और सतह की संरचना से जुड़ा अहम डेटा भेजा।
2022 में फ्यूल खत्म होने के कारण इसका संपर्क टूट गया, जबकि इसकी निर्धारित आयु सिर्फ 6 महीने थी।
मंगलयान-2 मिशन में क्या होगा खास?
मंगलयान-2 मिशन, पहले मिशन की तुलना में कहीं अधिक जटिल और तकनीकी रूप से उन्नत होगा।
इस मिशन का मुख्य लक्ष्य मंगल की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग (Soft Landing) करना है।
मुख्य घटक (Key Components):
ऑर्बिटर (Orbiter): मंगल के वातावरण और सतह का अध्ययन करेगा।
लैंडर (Lander): मंगल की सतह पर उतरने के लिए डिजाइन किया गया है।
रोवर (Rover): इसकी संभावनाओं पर फिलहाल अध्ययन चल रहा है।
मुख्य तकनीकी विकास (Key Technologies):
डीप स्पेस यात्रा के लिए एडवांस प्रपल्शन सिस्टम
हाई-प्रिसीजन नेविगेशन और गाइडेंस सिस्टम
पतले मंगल वातावरण में काम करने के लिए नए लैंडिंग इंजन और सेंसर
सुरक्षित उतरने के लिए ऑटोनॉमस टेरेन असेसमेंट
इसरो के अधिकारियों ने कहा कि मंगलयान-2 सिर्फ मंगल की कक्षा में घूमने के लिए नहीं, बल्कि वहां पहली सॉफ्ट लैंडिंग करने के लिए तैयार किया जा रहा है।
मिशन की तैयारी कहां हो रही है
इस मिशन की प्रारंभिक इंजीनियरिंग और डिजाइन तैयारियां इन केंद्रों में चल रही हैं:
स्पेस एप्लिकेशंस सेंटर (SAC)
विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (VSSC)
साथ ही, इसरो अन्य देशों के साथ वैज्ञानिक उपकरणों पर अंतरराष्ट्रीय साझेदारी की भी योजना बना रहा है — जैसा कि चंद्रयान-3 और NISAR (NASA-ISRO मिशन) में किया गया था।
मंगल पर लैंडिंग करने वाले देशों की सूची में शामिल होगा भारत
यदि भारत का यह मिशन सफल होता है, तो वह उन देशों की सूची में शामिल हो जाएगा जिन्होंने मंगल की सतह पर सफल लैंडिंग की है:
अमेरिका
चीन
पूर्व सोवियत संघ
मिशन से भारतीय वैज्ञानिकों को क्या मिलेगा
मंगल की सतह की केमिस्ट्री और मिट्टी का विश्लेषण
मंगल के मौसम और धूल चक्र का अध्ययन
पानी के संकेतों के लिए उप-सतही इमेजिंग
हाई-रिज़ॉल्यूशन टेरेन मैपिंग
स्वायत्त नेविगेशन तकनीक में उन्नति
भविष्य की प्लानेटरी मिशन क्षमता को मजबूत आधार
भारत के अंतरिक्ष भविष्य की नई उड़ान
मंगलयान-2 मिशन न केवल भारत की मंगल तक पहुंचने की क्षमता दिखाएगा, बल्कि यह साबित करेगा कि भारत अब अन्य ग्रहों पर उतरने में सक्षम है।
यह मिशन भारत को विश्व के अग्रणी अंतरिक्ष राष्ट्रों की पंक्ति में खड़ा करेगा — चंद्रयान-3 की सफलता और आदित्य-L1 मिशन के बाद भारत के लिए यह एक और ऐतिहासिक छलांग होगी।
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