नई दिल्ली. कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023 से पहले आलंद सीट पर चुनाव आयोग को भेजे गए हर फर्जी वोटर डिलीट आवेदन के लिए एक डेटा सेंटर ऑपरेटर को 80 रुपये दिए गए थे। इस बात का खुलासा मामले की जांच कर रही कर्नाटक पुलिस की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) ने किया है। दिसंबर 2022 से फरवरी 2023 के बीच कुल 6,018 ऐसे आवेदन किए गए थे, जिन पर लगभग 4.8 लाख रुपये का भुगतान हुआ।
यह मामला तब चर्चा में आया जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसे अपनी “वोट चोरी (Vote Chori)” के आरोपों का हिस्सा बनाया था। पिछले हफ्ते SIT ने भाजपा नेता सुभाष गुट्टेदार के ठिकानों पर छापे मारे थे। गुट्टेदार 2023 में आलंद सीट से चुनाव हार गए थे और कांग्रेस के बी. आर. पाटिल ने उन्हें हराया था।
सिर्फ 24 नाम हटाने योग्य पाए गए
चुनाव अधिकारियों की जांच में पता चला कि जिन 6,018 मतदाताओं के नाम हटाने के लिए आवेदन किए गए थे, उनमें से सिर्फ 24 लोग ही वास्तव में उस क्षेत्र से बाहर गए थे। बाकी सभी आवेदन फर्जी थे।
SIT को मिला डेटा सेंटर का सुराग
SIT ने जांच के दौरान पाया कि ये आवेदन कलबुर्गी जिले के एक डेटा सेंटर से किए गए थे। प्रारंभिक जांच स्थानीय पुलिस और फिर CID साइबर क्राइम यूनिट ने की थी, जिसके बाद SIT ने केस अपने हाथ में लिया।
अधिकारियों के मुताबिक, जांच में मोहम्मद अशफाक नाम के एक स्थानीय व्यक्ति की भूमिका सामने आई।
दुबई से जुड़ा कनेक्शन
2023 में पूछताछ के दौरान अशफाक ने खुद को निर्दोष बताया और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस सौंपने का वादा किया। इसके बाद वह दुबई चला गया।
अब SIT को मिले IP रिकॉर्ड्स और डिवाइसों की जांच में सामने आया है कि अशफाक इंटरनेट कॉल्स के ज़रिए अपने साथी मोहम्मद अकराम और तीन अन्य लोगों से संपर्क में था।
80 रुपये प्रति डिलीशन का भुगतान
पिछले हफ्ते SIT ने इन लोगों के ठिकानों पर छापेमारी की और डेटा सेंटर से जुड़े दस्तावेज़, लैपटॉप और रिकॉर्ड्स बरामद किए। जांच में यह भी सामने आया कि प्रत्येक वोटर डिलीशन के लिए 80 रुपये का भुगतान किया गया था।
डेटा सेंटर का संचालन अकрам और अशफाक कर रहे थे, जबकि अन्य लोग डेटा एंट्री ऑपरेटर थे।
भाजपा नेता के घर छापेमारी
इन बरामदियों के बाद SIT ने 17 अक्टूबर को भाजपा नेता सुभाष गुट्टेदार, उनके बेटों हर्षानंद और संतोष, और उनके सीए मल्लिकार्जुन महंतगोल के ठिकानों पर छापेमारी की।
इस दौरान 7 से अधिक लैपटॉप और कई मोबाइल फोन जब्त किए गए। SIT अब यह जांच कर रही है कि भुगतान की रकम का स्रोत क्या था।
75 मोबाइल नंबरों का हुआ इस्तेमाल
जांच में यह भी सामने आया कि चुनाव आयोग के पोर्टल पर वोटर लिस्ट में बदलाव के लिए 75 मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल किया गया — जिनमें मुर्गी फार्म के मजदूरों से लेकर पुलिसकर्मियों के रिश्तेदारों तक के नंबर शामिल थे।
SIT अभी तक यह पता लगाने में जुटी है कि फर्जी क्रेडेंशियल्स के ज़रिए चुनाव आयोग के पोर्टल तक पहुंच कैसे बनाई गई। जांच से यह स्पष्ट हुआ है कि जिन लोगों के नाम या क्रेडेंशियल्स का इस्तेमाल किया गया, उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं थी।
कांग्रेस का हमला
भाजपा नेता गुट्टेदार ने इस साजिश से खुद को अलग बताया है। उनका कहना है कि कांग्रेस विधायक बी. आर. पाटिल ने व्यक्तिगत फायदे के लिए उन पर आरोप लगाए हैं ताकि वह मंत्री पद हासिल कर सकें और राहुल गांधी की नज़रों में जगह बना सकें।
वहीं, कांग्रेस मीडिया प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा, “भाजपा राज में वोट देने का पवित्र अधिकार सिर्फ 80 रुपये में खरीदने-बेचने की वस्तु बन गया है। यह लोकतंत्र के लिए शर्मनाक है।”
उन्होंने कहा कि SIT की रिपोर्ट से साबित होता है कि राहुल गांधी के “वोट चोरी” वाले आरोप सही थे। “यह कोई आकस्मिक घटना नहीं, बल्कि एक संगठित और फंडेड रैकेट है जिसका उद्देश्य चुनावों में धांधली करना था,” खेड़ा ने कहा। “जितनी गहराई से जांच हो रही है, उतना ही यह घोटाला उजागर होता जा रहा है।”
