नई दिल्ली. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने शुक्रवार (2 मई) को कहा कि केंद्र सरकार पहलगाम आतंकी हमले से उत्पन्न स्थिति से निपटने के लिए कोई स्पष्ट रणनीति लेकर नहीं आई है, हालांकि उन्होंने जोर देकर कहा कि इस मुद्दे पर पूरा विपक्ष केंद्र के साथ है। राष्ट्रीय राजधानी में कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में अपने संबोधन में खड़गे ने यह भी कहा कि सरकार ने पार्टी की ‘जाति सर्वेक्षण’ की मांग स्वीकार कर ली है, लेकिन समय ने हमें वास्तव में आश्चर्यचकित कर दिया।
हालांकि, उन्होंने सरकार की मंशा पर संदेह जताया और पार्टी नेताओं से जाति सर्वेक्षण को तार्किक निष्कर्ष तक ले जाने के लिए सतर्क रहने को कहा। पिछली सीडब्ल्यूसी बैठक में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में केंद्र को हर संभव समर्थन देने का जिक्र करते हुए खड़गे ने कहा कि पहलगाम हमले के कई दिनों बाद भी सरकार की ओर से कोई स्पष्ट रणनीति सामने नहीं आई है।
इस मुद्दे पर पूरा विपक्ष सरकार के साथ है
कांग्रेस अध्यक्ष ने जाति सर्वेक्षण कराने के सरकार के फैसले का श्रेय पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को देते हुए कहा कि लोकसभा में विपक्ष के नेता ने फिर साबित कर दिया है कि अगर हम ईमानदारी से लोगों के मुद्दे उठाते हैं तो सरकार को झुकना पड़ता है। उन्होंने कहा कि गांधी ने कानपुर में शुभम द्विवेदी के परिजनों से मुलाकात की थी और मांग की थी कि सरकार मृतक को शहीद का दर्जा और सम्मान दे। खड़गे ने कहा कि देश की एकता, अखंडता और समृद्धि के रास्ते में आने वाली किसी भी चुनौती के खिलाफ हम एकजुट होकर और सख्ती से काम करेंगे। इस मुद्दे पर पूरा विपक्ष सरकार के साथ है। हमने पूरी दुनिया को यह संदेश दिया है।”
मल्लिकार्जुन खड़गे के सीडब्ल्यूसी की बैठक में दिए गए शुरुआती बयान के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:
1. पहलगाम आतंकी हमले के बाद 24 अप्रैल को सीडब्ल्यूसी की एक आपात बैठक हुई थी। उसमें हमने प्रस्ताव पारित कर कहा था कि हम आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में और आतंकियों को सबक सिखाने में सरकार को हरसंभव सहयोग देंगे।
2. लेकिन इस घटना (पहलगाम हमले) के कई दिन बीत जाने के बाद भी सरकार की ओर से कोई स्पष्ट रणनीति सामने नहीं आई है। 3. राहुल गांधी ने कानपुर में शुभम द्विवेदी के परिवार से मुलाकात की और सरकार से मृतक को शहीद का दर्जा और सम्मान देने की मांग की।
4. देश की एकता, अखंडता और समृद्धि के रास्ते में जो भी चुनौती आएगी, हम उसका मिलकर सख्ती से सामना करेंगे। इस मुद्दे पर पूरा विपक्ष सरकार के साथ है। हमने पूरी दुनिया को यह संदेश दिया है।
5. मित्रों, इस बीच मोदी सरकार ने जनगणना के साथ-साथ जाति जनगणना कराने का फैसला किया है।
6. इसके लिए सबसे पहले मैं राहुल गांधी को बधाई देता हूं, जिन्होंने लगातार इस मुद्दे को उठाया और सरकार को जाति जनगणना पर निर्णय लेने के लिए मजबूर किया। आपने इसे भारत जोड़ो न्याय यात्रा में एक शक्तिशाली अभियान में बदल दिया। और सामाजिक न्याय 18वीं लोकसभा चुनाव का सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया।
- राहुल गांधी ने फिर साबित कर दिया है कि अगर हम लोगों के मुद्दों को ईमानदारी से उठाते हैं, तो सरकार को झुकना पड़ता है। भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक और तीन काले किसान कानूनों को वापस लेने के बाद, जाति जनगणना भी इस श्रृंखला में जुड़ गई है, जिसमें एक जिद्दी सरकार को एक बार फिर झुकना पड़ा है।
- कांग्रेस की राज्य सरकारों ने तेलंगाना और कर्नाटक में जाति सर्वेक्षण की प्रक्रिया पूरी कर ली है और इसे सरकारी योजनाओं में लागू करना शुरू कर दिया है।
- गुजरात में AICC के अधिवेशन में हमने 9 अप्रैल, 2025 को अपनी मांग को दोहराते हुए एक प्रस्ताव भी पारित किया। हमने 50 प्रतिशत की सीलिंग को हटाने की भी मांग की। सीलिंग को हटाने का काम संविधान संशोधन के जरिए किया जाएगा।
- सरकार ने जाति जनगणना की हमारी वर्षों पुरानी मांग को स्वीकार कर लिया, लेकिन इसके लिए जो समय चुना गया, उससे हम हैरान होने के साथ-साथ सदमे में भी हैं। जिस भाषा और भावना के साथ कई बातें कही गईं, उसे लेकर हमारे दिलों में कई शंकाएं पैदा हुई हैं।
- जब मैंने 16 अप्रैल, 2023 को प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर इसकी मांग की थी, तो सरकार इसके बिल्कुल खिलाफ थी। फिर अचानक हृदय परिवर्तन कैसे हो गया?
- सरकार ने हर मंच पर हमारी मांग का विरोध किया। इसे विभाजनकारी और अर्बन नक्सल कहा गया। मोदी से लेकर आरएसएस नेताओं तक, सभी ने विधानसभा चुनावों के दौरान इसकी आलोचना की। ‘अगर हम बांटेंगे, तो हम कट जाएंगे’ जैसे नारे दिए गए।
- हमें लोगों को यह बताना होगा कि यूपीए 2 में शुरू हुई 2011 की जाति जनगणना की पूरी प्रक्रिया 31 मार्च 2016 को समाप्त हो गई। सरकार ने खुद 2022 में राज्यसभा के एक प्रश्न के उत्तर में यह स्वीकार किया। फिर हमसे 2014 में अधूरे डेटा प्रकाशित करने की उम्मीद करना मूर्खता ही नहीं बल्कि नासमझी है।
- हम यह कहना चाहेंगे कि हमें खुशी है कि उन्होंने हमारी बात समझी, भले ही देर से। एक पुरानी कहावत है, देर आए दुरुस्त आए!
- कांग्रेस ने 2024 के चुनाव में सभी जातियों और समुदायों की जनसंख्या, सामाजिक-आर्थिक स्थिति, राष्ट्रीय संपत्ति में उनकी हिस्सेदारी और शासन से जुड़ी संस्थाओं में उनके प्रतिनिधित्व को जानने के लिए एक व्यापक सामाजिक, आर्थिक और जाति जनगणना कराने की बात कही थी। हमारा मानना है कि इससे समाज का एक्स-रे होगा।
- हम इस मांग पर अड़े रहे। मुख्य विपक्षी दल के तौर पर हमने संविधान बचाओ अभियान में लगातार इस मांग को उठाया।
- राहुल गांधी ने संसद के अंदर और बाहर अपने हर भाषण में लगातार इसकी मांग की। हमारे सभी साथियों ने इस बात को आगे बढ़ाया। इसलिए मैं आप सभी को इसके लिए बधाई देता हूँ।
- लेकिन हमारे लिए यह जीत-हार या राजनीति का मुद्दा नहीं है। कांग्रेस हमेशा से देश के सामाजिक-आर्थिक पिछड़ेपन और गरीबी के खिलाफ लड़ती रही है। यह हमारे राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा बना हुआ है।
- 1931 की जाति जनगणना से दो महीने पहले महात्मा गांधी ने यंग इंडिया में संपादकीय लिखकर कहा था – “जिस तरह हम अपने शरीर की जांच के लिए समय-समय पर मेडिकल टेस्ट करवाते हैं, उसी तरह जनगणना किसी भी राष्ट्र की सबसे महत्वपूर्ण परीक्षा है।”
- गांधी जी ने यह भी कहा था कि – “जनगणना तभी उपयोगी है जब सरकार आवश्यक जानकारी का उपयोग बेहतरी के लिए करे।”
- तो बेशक सरकार ने जाति जनगणना कराने की हमारी मांग मान ली है। लेकिन अब हमें यह भी सुनिश्चित करना है कि यह जाति जनगणना सही तरीके से हो। इसके जो भी परिणाम सामने आएं, उन्हें लागू भी किया जाए। उनके अनुसार नीतियां और कानून बनाए जाएं।
- मोदी सरकार ने 2021 की जनगणना नहीं करवाई। आज भी सारा सरकारी काम 2011 की जनगणना के आंकड़ों पर ही हो रहा है।
- मोदी सरकार आरएसएस की आरक्षण विरोधी सोच के कारण जाति जनगणना के काम को टालती रही। लेकिन अब जब जनता इस मुद्दे पर कांग्रेस पार्टी और सहयोगी दलों के साथ जुड़ने लगी तो मोदी जी के लिए इसे और टालना संभव नहीं रहा।
- लेकिन बजट से लेकर सरकार की नीति और नीयत तक कई सवाल अभी भी बने हुए हैं। इसलिए हमें तब तक सतर्क रहना होगा जब तक यह सब सामने न आ जाए।
- सरकार इस मुद्दे पर लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रही है। आज बिहार में उसके शीर्ष नेता हर जिले में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके इसका श्रेय भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी को देने की कोशिश कर रहे हैं और कांग्रेस पार्टी को ही जाति जनगणना के खिलाफ बता रहे हैं।
- इसलिए हमें अपनी रणनीति बनानी होगी। अगर जरूरत पड़े तो हमें अपने सहयोगियों को साथ लेकर राष्ट्रीय स्तर या राज्य स्तर पर जनसभा करनी चाहिए या पूरे देश में प्रेस कॉन्फ्रेंस करने पर विचार करना चाहिए।
- इसी विषय पर 1 मई को AICC संचार विभाग ने 90 मिनट की विस्तृत प्रेस कॉन्फ्रेंस की। आप चाहें तो इस जानकारी के आधार पर राज्यों में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सकते हैं।
- अब राजनीतिक तौर पर कई मुद्दे उठाए जाएंगे, जिसके लिए हमें तैयार रहना होगा। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि जाति जनगणना हो और उसके बाद हमारी सभी मांगें ठीक से पूरी हों।