रांची. सूबे के हजारीबाग जिले की तीन महिलाएं अपनी कूचियों से राजधानी की सरकारी दीवारों पर सोहराय की कला कृतियों को रंग भर रही हैं. जहाँ पहले सरकारी दीवारे पीले रंग की या सफ़ेद या फिर कोरी हुआ करती थी वहीँ अब उनपर कोहबर और सोहराई पेंटिंग के नमूने देखने को मिल रहे हैं. शुरू में इसे एक प्रयोग के तौर पर अपनाया गया लेकिन अब सभी सरकारी इमारतों की बाउंड्री वाल पर सोहराय पेंटिंग दिख रही है, इससे स्वच्छ भारत अभियान का सपना भी पूूूूरा करने में मदद मिल रही है.
दरसल छह महीने पहले कला एवं संस्कृति विभाग ने इसे एक प्रयोग के तौर पर शुरू किया. इसका सफल रूप सिमडेगा जिले में देखने को मिला वहां की सची सरकारी इमारतों की दीवारों को सोहराय के अलग अलग रंग से रंग गया. इसी के बाद अब पूरे राज्य में इसे अपनाया जा रहा है.
रांची में इसके लिए हजारीबाग से साझो रुद्दन और मालो नाम की तीन महिलाओं को लाया गया है. इनकी सबसे बड़ी खासियत यह है की तीनों मिलकर अपनी कूचियाँ चलाती हैं. इन्हें न तो ककहरा आता है और न ही ए बी सी डी का ज्ञान है लेकिन पिछले ढाई–तीन दशक से ये सोहराय पेंटिंग में करती आ रही हैं. इनमे से एक रुद्दन का एक हाथ नहीं है फिर भी उसकी बनायीं पेंटिंग किसी मायने में कमतर नहीं लगती
पत्रकार मार्कटली भी इनके काम की तारीफ कर चुके हैं.
राजधानी के मेयर्स रोड पर अपने काम में जुटी साझो बताती हैं की वो और उसकी दोनों सहयोगी “साहेब जी” की शुक्रगुजार हैं जिन्होंने उनपर भरोसा किया और इस काम में लगाया. वो बताती है की एक दिन अचानक हजारीबाग के चरही इलाके के उसके घर में सरकार द्वारा भेजे गए साहेब जी आये और उसे रांची आने को कहा. बस उन्होंने अपनी गठरी बाँधी और चल पड़ी राजधनी में अपनी कला का जौहर दिखाने.उन्हें दीवार के एक ब्लाक में रंग भरने की एवज में 500 रूपये दिए जाते हैं. जानेमाने पत्रकार मार्कटली भी कुछ दिन पहले हजारीबाग आकर इन महिलाओं से मिले और इनके काम की तारीफ कर चुके हैं.
स्वच्छता के साथ साथ ट्राइबल कल्चर संरक्षण का है प्रयास
इसके पीछे का मकसद यह है कि इससे एक तो रांची साफ–सुथरा और सुंदर दिखेगी. इसके साथ ही बाहर से आने वाले लोग झारखंड की प्राचीन कालीन अदभूत चित्रकारी की झलक देख पाएंगे. साथ ही सोहराय,कोहबर और जादूपेटिया से जुड़े जो लोक चित्रकारों को भी एक प्लेटफार्म मिलेगा. अभी तक ये कलाएं राज्य के विभिन्न इलाकों में सिमटी हुई थी. अब उन्हें एक अलग पहचान मिलेगी.