रांची. लरका विद्रोह के महानायक अमर शहीद वीर बुधू भगत की 226वीं जयंती के अवसर पर आजसू पार्टी के केंद्रीय मुख्य प्रवक्ता डाॅ देवशरण भगत ने कहा कि आमतौर पर 1857 को ही स्वतंत्रता संग्राम का प्रथम समर माना जाता है. लेकिन इससे पूर्व ही वीर बुधु भगत ने न सिर्फ क्रान्ति का शंखनाद किया था, बल्कि अपने साहस व नेतृत्व क्षमता से 1832 ई. में लरका विद्रोह नामक ऐतिहासिक आन्दोलन का सूत्रपात्र किया.
उन्होंने अन्याय के विरुद्ध बगावत का आह्वान किया. अपने दस्ते को बुधु ने गुरिल्ला युद्ध के लिए प्रशिक्षित किया. घने जंगलों और दुर्गम पहाड़ियों का फायदा उठाकर कई बार अंग्रेजी सेना को परास्त किया. बुधु को पकड़ने के लिए अंग्रेज सरकार ने एक हजार रुपये इनाम की घोषणा कर दी थी.
उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने अन्याय के विरुद्ध जन विद्रोह को हथियार के बल पर जबरन खामोश कर दिया गया. बुधु भगत और उनके बेटे हलधर और गिरधर भी अंग्रेजों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए.
हम उनके बलिदान, मातृभूमि के प्रति प्रेम, इनकी वीरता, शौर्य और अदम्य साहस को कभी भूल नहीं सकते हैं. उनकी वीरगाथा को पीढ़ी-दर-पीढ़ी लोगों के दिलों-दिमाग और हृदय में हमेशा संजोये रखेंगें.