नई दिल्ली. महाराष्ट्र सरकार फर्जी तरीके से नौकरी पाने वाले 11,700 कर्मचारियों को हटाने को लेकर पेशोपेश में है. इससे निपटने के लिए सरकार ने विधि एवं न्याय विभाग और एडवोकेट जनरल से राय मांगी है. मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने सात महीने पहले अपने आदेश में कहा था कि फर्जी जाति प्रमाणपत्रों के आधार पर नौकरी और शैक्षणिक संस्थान में दाखिला लेने वालों की नौकरी और डिग्री वापस ले लेनी चाहिए. महाराष्ट्र में 11,700 कर्मचारियों ने गलत प्रमाण-पत्र दिखाकर अनुसूचित जनजाति के कोटे से नौकरी हासिल की है.
अब इतनी बड़ी संख्या में कर्मचारियों को हटाने पर सरकार को असंतोष का डर भी सता रहा है. इसके साथ ही कर्मचारी यूनियन भी इसका विरोध कर सकते हैं. फर्जी तरीके से नौकरी पाने वालो में कई कर्मचारी 20 सालों से अपनी सेवा दे रहे हैं और पदोन्नति के बाद क्लर्क से अधिकारी के पद पर पहुंच गए हैं.