नई दिल्ली. भारतीय सेना में ‘Agnipath Scheme’ के तहत भर्ती हुए अग्निवीरों के लिए एक बड़ा बदलाव आने की संभावना है। सूत्रों के अनुसार, आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में अग्निवीर रिटेंशन रेट को मौजूदा 25% से बढ़ाकर 75% तक करने का प्रस्ताव विचाराधीन है। यह प्रस्ताव सेना की तीनों शाखाओं (थल, वायु और नौसेना) के बीच ‘jointness’ यानी बेहतर तालमेल बढ़ाने और ‘मिशन सुधर्शन चक्र’ की समीक्षा जैसे मुद्दों के साथ चर्चा का हिस्सा रहेगा। यह अहम बैठक गुरुवार से जैसलमेर में शुरू होगी।
पहला बैच अगले साल पूरा करेगा चार साल का कार्यकाल
अग्निवीर योजना के तहत भर्ती हुए पहले बैच का चार वर्षीय कार्यकाल अगले साल पूरा होने वाला है, इसलिए उनकी सेवा अवधि बढ़ाने या स्थायी करने का मुद्दा अब प्राथमिक एजेंडे में शामिल किया गया है।
यह बैठक ‘ऑपरेशन सिंदूर’ (मई 2025) के बाद होने वाली पहली आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस है। इसमें सेना के शीर्ष अधिकारी देश की सुरक्षा स्थिति, संचालनिक प्राथमिकताओं और नई चुनौतियों पर विस्तृत चर्चा करेंगे।
पूर्व सैनिकों की विशेषज्ञता का उपयोग बढ़ाने पर भी चर्चा
बैठक में वेटरन्स (पूर्व सैनिकों) की बढ़ती संख्या और उनके अनुभव का सार्थक उपयोग कैसे किया जाए, इस पर भी मंथन होगा।
फिलहाल, पूर्व सैनिकों को केवल Army Welfare Education Society और ECHS (Ex-Servicemen Contributory Health Scheme) जैसी सीमित भूमिकाओं में नियुक्त किया जाता है। अब सेना के विभिन्न फॉर्मेशनों में उनकी व्यापक भागीदारी बढ़ाने पर विचार हो रहा है।
इसके साथ ही, सेवारत जवानों की भलाई और सुविधाओं से जुड़े विषय भी एजेंडे में रहेंगे।
तीनों सेनाओं के बीच तालमेल और ‘थिएटर कमांड’ की तैयारी
सेना, नौसेना और वायुसेना के बीच संयुक्तता (Jointness) बढ़ाने के लिए कई ठोस कदमों पर चर्चा होगी।
The Indian Express की एक रिपोर्ट के अनुसार, विचाराधीन उपायों में शामिल हैं:
उपकरणों का मानकीकरण (Standardisation)
लॉजिस्टिक्स और प्रोक्योरमेंट के लिए कॉमन सप्लाई चेन
सभी स्तरों पर संयुक्त प्रशिक्षण (Combined Training)
क्रॉस पोस्टिंग और इंटर-सर्विस एक्सपोजर बढ़ाना
तीनों सेवाओं के कर्मियों के बीच सामाजिक इंटरैक्शन बढ़ाना
इन कदमों का उद्देश्य भविष्य में थिएटर कमांड सिस्टम के गठन की दिशा में ठोस आधार तैयार करना है।
‘ट्राई-सर्विसेस’ सुधार की दिशा में सरकार के कदम
पिछले महीने कोलकाता में हुई Combined Commanders Conference में भी इन मुद्दों पर चर्चा हुई थी, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं हिस्सा लिया था।
उस बैठक में सरकार ने तीन संयुक्त सैन्य स्टेशन (Joint Military Stations) स्थापित करने और सेना, नौसेना और वायुसेना की शिक्षा शाखाओं को एकीकृत कर ‘Tri-Services Education Corps’ बनाने की घोषणा की थी — जो संयुक्त सैन्य संरचना की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
