नई दिल्ली. भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) ने गुरुवार (30 अक्टूबर) को पुष्टि की कि अमेरिका ने ईरान में स्थित चाबहार पोर्ट प्रोजेक्ट पर अपने प्रतिबंधों से भारत को छह महीने की छूट प्रदान की है। यह कदम उस समय आया है जब नई दिल्ली और वाशिंगटन के बीच रणनीतिक और आर्थिक मुद्दों, खासकर व्यापार वार्ता और वैश्विक ऊर्जा सुरक्षापर निरंतर बातचीत जारी है।
चाबहार पोर्ट का रणनीतिक महत्व
ईरान के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित चाबहार पोर्ट भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण समुद्री केंद्र है। यह बंदरगाह भारत को पाकिस्तान को बायपास करते हुए सीधे अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक पहुंच प्रदान करता है। भारत और ईरान के संयुक्त प्रयासों से विकसित यह परियोजना क्षेत्रीय संपर्क (regional connectivity) बढ़ाने, व्यापार को प्रोत्साहित करने और भू-आबद्ध देशों (landlocked countries) के साथ इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट को मजबूत करने के लिए अहम है।
अधिकारियों ने बताया कि यह छूट चाबहार की उस भूमिका को मान्यता देती है, जो वह क्षेत्र में मानवीय सहायता, आर्थिक स्थिरता और वैकल्पिक व्यापार मार्गों को बढ़ावा देने में निभा रहा है। इस छूट से भारत को पोर्ट पर अपने संचालन और विकास कार्य जारी रखने की अनुमति मिलेगी, जिससे अमेरिका ने इस परियोजना के भूराजनीतिक (geopolitical) महत्व को भी स्वीकार किया है।
अमेरिका के साथ जारी संवाद
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने कहा कि भारत “अमेरिका के साथ एक पारस्परिक रूप से लाभकारी व्यापार समझौते (mutually beneficial trade deal) को अंतिम रूप देने के लिए लगातार बातचीत में है।” उन्होंने बताया कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय और रणनीतिक मुद्दों पर संवाद जारी है।
जायसवाल ने कहा कि यह छूट भारत की क्षेत्रीय विकास प्राथमिकताओं की व्यावहारिक समझ को दर्शाती है।
रूस से तेल आयात और ऊर्जा सुरक्षा पर भारत का रुख
रूसी तेल कंपनियों पर हाल ही में लगाए गए अमेरिकी प्रतिबंधों पर प्रतिक्रिया देते हुए जायसवाल ने कहा कि भारत इन कदमों के प्रभावों का अध्ययन कर रहा है।
उन्होंने दोहराया कि भारत के ऊर्जा खरीद से जुड़े निर्णय राष्ट्रीय हितों और वैश्विक तेल बाजार की बदलती परिस्थितियों पर आधारित हैं।
जायसवाल ने कहा, “हमारी ऊर्जा सोर्सिंग पर नीति पहले से स्पष्ट है। हमारा उद्देश्य 1.4 अरब नागरिकों की जरूरतों को पूरा करने के लिए सस्ती और विश्वसनीय ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित करना है।”
रणनीतिक और आर्थिक हितों के बीच संतुलन
इन घटनाक्रमों से यह स्पष्ट होता है कि भारत अपने रणनीतिक साझेदारी संतुलन (strategic balance) को बनाए रखते हुए अमेरिका और रूस दोनों के साथ संबंध मजबूत करने की दिशा में काम कर रहा है।
चाबहार पोर्ट पर मिली यह अस्थायी छूट न केवल भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रयासों को गति देगी, बल्कि क्षेत्रीय संपर्क परियोजनाओं में भारत की अग्रणी भूमिका को भी सशक्त बनाएगी।
