नई दिल्ली. 14-15 अगस्त 1947 की आधी रात भारत के इतिहास का सबसे अहम पल था। उस समय जब दुनिया सो रही थी, भारत ने freedom की पहली सांस ली। लगभग 200 साल की गुलामी के बाद यह रात सिर्फ जश्न की नहीं, बल्कि partition के दर्द की भी गवाह बनी।
14 अगस्त की शाम दिल्ली में एक तरफ आज़ादी का celebration था, तो दूसरी ओर बंटवारे की हिंसा का डर। रात 11 बजे Constitution Hall (आज का संसद भवन का Central Hall) में ऐतिहासिक बैठक शुरू हुई। डॉ. राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में नेताओं ने अपने विचार रखे और ठीक 12 बजे पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपना मशहूर “Tryst with Destiny” speech दिया, जिसमें उन्होंने भारत की नियति से किए वादे का जिक्र किया।
ब्रिटिश सरकार ने सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक ‘Sengol’ पंडित नेहरू को सौंपा। हालांकि इस जश्न में महात्मा गांधी शामिल नहीं हुए, क्योंकि वे देश में फैल रही हिंसा और विभाजन के दर्द से व्यथित थे।
दरअसल, 14 अगस्त को पाकिस्तान को आज़ादी दी गई और लॉर्ड माउंटबेटन उसी दिन कराची में सत्ता हस्तांतरण के बाद रात में दिल्ली लौटे। इसके अलावा, law and order की स्थिति संभालने और दंगों से बचने के लिए आधी रात का समय चुना गया।
यह रात हमें याद दिलाती है कि आज़ादी महज एक political freedom नहीं थी, बल्कि लाखों लोगों की कुर्बानियों और बंटवारे के ज़ख्मों से लिखी गई थी
14-15 अगस्त 1947: Independence at Midnight का पूरा सच
200 साल की गुलामी का अंत
ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन से लेकर 1857 की क्रांति और फिर Indian National Movement तक, भारत ने कई दशकों तक freedom struggle लड़ा। 1940 के दशक में Quit India Movement, नौसेना विद्रोह और द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई, जिससे उन्होंने सत्ता छोड़ने का फैसला किया।
क्यों चुनी गई आधी रात का समय?
कानून एवं व्यवस्था जोखिम: दिन में सत्ता परिवर्तन से दंगे और भी बढ़ सकते थे। लॉर्ड माउंटबेटन का शेड्यूल: 14 अगस्त को पाकिस्तान की आजादी के बाद वेराचे से दिल्ली आजादी। ब्रिटिश शून्यकाल योजना: ब्रिटिश संसद के अनुसार भारत और पाकिस्तान दोनों को 15 अगस्त 1947 को शून्यकाल (00:00) पर स्वतंत्र होना था। शुभ समय: कुछ भारतीय ज्योतिषियों ने दिन के समय को अशुभ बताया है, इसलिए रात का समय चुना गया है।
वो ऐतिहासिक रात – Parliament का माहौल
Constitution Hall (अब का Central Hall) के बाहर हजारों लोग बारिश में भीगते हुए आज़ादी का इंतज़ार कर रहे थे। Union Jack शाम 6 बजे उतार दिया गया और तिरंगे की तैयारी हुई। ठीक 12 बजे Jawaharlal Nehru ने अपना “Tryst with Destiny” भाषण दिया, जिसे BBC समेत पूरी दुनिया ने सुना।
महात्मा गांधी कहाँ थे?
गांधी जी उस रात दिल्ली में नहीं थे। वे कोलकाता में हिंदू-मुस्लिम हिंसा को रोकने के लिए अनशन पर थे। उन्होंने कहा था –
मुझे वह आज़ादी नहीं चाहिए जो रक्तरंजित हो।
बंटवारे का जख्म
14 अगस्त को पाकिस्तान स्वतंत्र हुआ, 15 अगस्त को भारत। Partition Violence में करीब 10-15 लाख लोग मारे गए और 1.5 करोड़ से ज्यादा लोग विस्थापित हुए। पंजाब और बंगाल के बीच सीमा खींचने वाले Radcliffe Line का फैसला सिर्फ 5 दिन पहले आया था।
Sengol की कहानी
सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर ब्रिटिश गवर्नर जनरल ने पंडित नेहरू को Sengol (दक्षिण भारतीय राजदंड) सौंपा। यह तमिल परंपरा में राजा को न्याय और धर्म के मार्ग पर चलने की शपथ दिलाने का प्रतीक है।
Midnight का असर
भारत दुनिया के कुछ गिने-चुने देशों में से एक है जिसने Independence Ceremony आधी रात को की। इस ऐतिहासिक पल की वजह से “India’s Midnight Freedom” phrase दुनिया में मशहूर हुआ।
