नई दिल्ली. हिमाचल प्रदेश इस समय हाल के वर्षों के सबसे विनाशकारी मानसून का सामना कर रहा है। लगातार तेज बारिश ने पूरे राज्य में भारी तबाही मचाई है, जिससे अब तक 355 लोगों की जानें जा चुकी हैं और बुनियादी ढांचे तथा संपत्ति को गंभीर नुकसान पहुंचा है। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) ने 20 जून से 4 सितंबर तक के नुकसान का विस्तृत रिपोर्ट जारी किया है।
भयानक जीवन हानि
मानसून के कहर ने कई जानें ली हैं। बारिश और उससे जुड़ी घटनाओं जैसे भूस्खलन, बाढ़, डूबने, बिजली गिरने और अन्य मौसम-जनित कारणों से 194 लोगों की मौत हुई। इसके अलावा, सड़क दुर्घटनाओं में 161 लोग मारे गए। सबसे अधिक प्रभावित जिले मंडी (58), कांगड़ा (50), चंबा (43), शिमला (38) और कुल्लू (31) हैं।
बारिश से हुई मौतों में 35 भूस्खलन, 33 डूबने, 17 बादल फटने और 15 ढलानों या पेड़ों से गिरने जैसी दुर्घटनाओं में हुई हैं। इसके अलावा बिजली का करंट लगना, सांप के डंसने, आग और हिमस्खलन जैसी घटनाओं ने भी जानें ली हैं।
सड़क दुर्घटनाओं ने बढ़ाया नुकसान
मानसून के दौरान सड़क दुर्घटनाओं ने भी बड़ी संख्या में जानें ली हैं। चंबा और मंडी में 22-22 मौतें हुईं, कांगड़ा में 19, शिमला और सोलन में 18-18, किन्नौर में 14 और कुल्लू में 13। यह आंकड़ा खराब सड़क और मानसून के दौरान भूस्खलन एवं बाढ़ के खतरों को उजागर करता है।
संपत्ति को भारी नुकसान
सार्वजनिक संपत्ति को 3,787 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है। इसमें PWD, जल आपूर्ति और बिजली वितरण नेटवर्क को गंभीर क्षति पहुंची है। SDMA के अनुसार 415 घर पूरी तरह से नष्ट हुए, 597 आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए, और कई गौशालाएं व पशु आश्रय भी तबाह हो गए। इसके अलावा 28 वाणिज्यिक प्रतिष्ठान जैसे दुकानें और फैक्ट्रियां भी प्रभावित हुई हैं।
बचाव और राहत प्रयासों में चुनौतियां
जिलों के प्रशासन राहत और बचाव कार्यों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। SDMA का फोकस बिजली और जल आपूर्ति जैसे आवश्यक सेवाओं को बहाल करने तथा प्रभावित क्षेत्रों को पुन: जोड़ने पर है। जनता से अपील की गई है कि वे सतर्क रहें, अनावश्यक यात्रा से बचें और मौसम की चेतावनियों का पालन करें।
चंबा में मणिमाहेश यात्रा के फंसे तीर्थयात्रियों को निकालने के प्रयास जारी हैं। भारतीय वायुसेना (IAF) ने शुक्रवार को लगभग 350 यात्रियों को हवाई मार्ग से सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। भारी बारिश और भूस्खलन के कारण भरमौर क्षेत्र की सड़कें कट गईं, जिससे यात्री फंसे रहे। यात्रा शुरू होने से अब तक तीर्थयात्रियों में 17 मौतें हुई हैं, हालांकि अधिकारियों का अनुमान है कि वास्तविक संख्या इससे अधिक हो सकती है।
इन्फ्रास्ट्रक्चर और परिवहन पर प्रभाव
मानसून के कारण राज्य में 1,217 सड़कें बंद हैं, जिनमें प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्ग NH-3 (मंडी-धरमपुर), NH-5 (पुराना हिंदुस्तान-तिब्बत मार्ग), NH-305 (ऑट-सैंज) और NH-505 (खब से ग्राम्फु) शामिल हैं। शिमला-कालका रेल मार्ग पर भी भूस्खलन के कारण ट्रेनों को रद्द किया गया है। परिवहन में यह व्यवधान राहत प्रयासों को और चुनौतीपूर्ण बना रहा है।
जारी खतरे और मौसम चेतावनी
राज्य के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश दर्ज की गई है। मौसम विभाग ने सोमवार और मंगलवार को कुछ क्षेत्रों में भारी बारिश के लिए येलो अलर्ट जारी किया है। फ्लैश फ्लड, भूस्खलन और बादल फटने का खतरा जारी है। मानसून के इस सत्र में अब तक 95 फ्लैश फ्लड, 45 क्लाउडबर्स्ट और 132 बड़े भूस्खलन रिकॉर्ड किए गए हैं।
हिमाचल प्रदेश अब भी एक गंभीर संकट में है। विनाशकारी मानसून और व्यापक तबाही ने निवासियों के लिए कठिन परिस्थितियाँ पैदा कर दी हैं, जबकि बचाव दल स्थिति को सामान्य करने के प्रयास कर रहे हैं। अधिक बारिश की संभावना के कारण अधिकारियों ने लोगों से सतर्क और तैयार रहने की अपील की है।