शिमला. हिमाचल प्रदेश के उच्च न्यायालय में शनिवार को राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण द्वारा भारतीय संविधान के विभिन्न पहलुओं पर व्याख्यान की श्रृंखला पर 4वें व्याख्यान का आयोजन किया गया. इस समारोह की शुरुआत सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर ने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के कार्यवाहन मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल तथा हिमाचल प्रदेश विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति धर्मचंद चौधरी की उपस्थिति में किया.
अपने सम्बोधन में न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर ने राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण द्वारा की जा रही व्याख्यान श्रृंखला पर प्रसन्नता जाहिर की. संविधान में दिए गए सामाजिक व आर्थिक न्याय विषय पर उन्होंने कहा कि न्यायपालिका समाज के सबसे कमजोर वर्गों को जनहित याचिकाओं के माध्यम से न्याय दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. उन्होंने कहा कि कई बार स्थापित कानूनों का निर्वहन नहीं हो पाता और कुछ मामलों में कोई भी कानून नहीं होता है. इन दोनों मामलों में न्यायालय का यह दायित्व बनता है कि आम आदमी को न्याय दिलाए. जनहित याचिकाओं ने सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालयों के माध्यम से कैदियों, समाज के कमजोर वर्गों, महिलाओं व बच्चों इत्यादि के अधिकारों के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है.
न्यायिक सक्रियता पर बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि आम लोगों को न्याय दिलाने में न्यायिक सक्रियता आवश्यक है, परन्तु वह अपनी सीमा में ही होनी चाहिए. उन्होंने समाज में सामाजिक तथा आर्थिक न्याय पर चिंता व्यक्त की. आज राष्ट्र की 60 प्रतिशत सम्पदा मात्र एक प्रतिशत जनसंख्या के पास है, जबकि राष्ट्र की 40 प्रतिशत सम्पदा 99 प्रतिशत जनसंख्या के पास है. नीति निर्माताओं व अर्थशास्त्रियों को आर्थिक न्याय दिलाने के लिए समाधानों के साथ आगे आना चाहिए. उन्होंने कहा कि यदि किसी भी क्षेत्र में अन्याय होता है तो न्यायपालिका को अपनी भूमिका निभानी चाहिए और ऐसे में मूक दर्शक बन कर नहीं रहना चाहिए.
इस अवसर पर न्यायमूर्ति लोकुर ने 16 मध्यस्थों, हि.प्र. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के साथ जुड़े अधिवक्ताओं, को भी बधाई दी.
न्यायमूर्ति लोकुर ने हि.प्र. राज्य विधिक प्राधिकरण द्वारा प्रदेश के गरीबों तथा जरूरतमंदों को न्याय उपलब्ध करवाने के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना की. उन्होंने हि.प्र. राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण की लोक अदालतें, पूर्व अभियोग कार्यक्रम व वृक्षारोपण आदि कार्यक्रम आयोजित करने के लिए सराहना की। उन्होंने हिमाचल प्रदेश राज्य उच्च न्यायालय की परिधि में मेडिटेशन केन्द्र की शुरुआत की.
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल ने कहा कि भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है, जिसके पास सबसे बड़ा संविधान है. राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण प्रदेश भर में पौधरोपण आयोजित कर रहा है तथा इसमें छठी कक्षा से ऊपर की कक्षाओं के विद्यार्थी भाग ले रहे हैं. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा आम लोगों को तीव्र न्याय उपलब्ध करवाने के लिए पूर्व अभियोग कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. प्रथम सितम्बर, 2017 को उच्च न्यायालयों में पूर्व अभियोग मेडिटेशन अदालत आयोजित की गई, जिसमें 12 व 13 अगस्त को हिमाचल पथ परिवहन निगम की बसों में दुर्घटना के दौरान 45 मृतकों के दावों को निपटारा करने के लिए आयोजित की गई. इनमें 16 दावों का निपटारा किया गया और एक करोड़ 54 लाख 85 सौ रुपये की राशि वितरित की गई.
हि.प्र. विधिक सेवाएं प्राधिकरण के प्रशासनिक अधिकारी यशवंत सिंह चोगल सहित सभी जज मौजूद रहे.