नई दिल्ली: ग्रामीण भारत आज भी हाशिये पर है. आज भी वह मूलभूत आवश्यकताओं से जूझ रहा है. हाल यह है कि आजादी के 70 साल बाद भी पीने को शुद्ध पानी नहीं मिल पा रहा है. राष्ट्रिय स्तर पर पता चला है कि देश में अब भी 75 हजार गाँव ऐसे हैं जिन्हें पीने का शुद्ध पानी नहीं मिल पा रहा है. लोग दूषित पानी पीने को मजबूर हैं. इस कारण लोगों को कई बिमारियों का सामना करना पड़ रहा है.
अभी चल रहे मॉनसून सत्र में पीने की पानी को लेकर इस समस्या को उठाया गया. इसी का जवाब देते हुए राज्यसभा में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र तोमर ने स्वीकार किया कि देश में लगभग 75 हजार गांवों में शुद्ध पानी नहीं पा रहा है. इनमें 28 हजार गांव ऐसे हैं, जहां के भूजल में घातक जहरीले तत्व मिला हुआ है. इस तरह का पानी पीने वाले लोगों को कैंसर जैसे रोग हो रहे हैं
इनमें उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों और गंगा किनारे बसे गांवों के लोग आर्सेनिक व फ्लोराइड मिश्रित पानी पीने को मजबूर हैं. इसी तरह राजस्थान और कुछ अन्य क्षेत्रों में फ्लोराइड जैसा घातक तत्व मिला हुआ है