शिमला: मुख्यमंत्री सुखविंद्र सुक्खू ने मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना की समीक्षा की तथा योजना के तहत पात्र अनाथ बच्चों के फार्म शीघ्र भरने की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि समय पर उन्हें इस योजना के लाभ प्रदान किए जा सकें.
मुख्यमंत्री ने संबंधित विभाग को उप-मंडलीय स्तर पर बाल विकास परियोजना अधिकारी को शीघ्र मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना के फार्म उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए. उन्होंने अधिकारियों को योजना के तहत फार्म भरने की सुविधा प्रदान करने के लिए एक विशेष अभियान आरंभ करने को भी कहा.
उपमंडल स्तर पर योजना की निगरानी पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में एक कानून पारित कर लगभग 6000 अनाथ बच्चों को चिल्ड्रन ऑफ दि स्टेट के रूप में अपनाया गया है तथा इनकी देखभाल की जिम्मेदारी भी सरकार की है. सुक्खू ने जिला मंडी के सुंदरनगर में 50 बीघा से अधिक भूमि पर प्रस्तावित अत्याधुनिक आदर्श ग्राम सुखआश्रय परिसर की समीक्षा भी की. उन्होंने लोक निर्माण विभाग को परियोजना के कार्य में तेजी लाने तथा 15 दिनों के भीतर निविदा प्रक्रिया आरंभ करने के निर्देश दिए. सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डा. धनी राम शांडिल, सीपीएस संजय अवस्थी, गोकुल बुटेल, अनिल कपिल, गोपाल शर्मा, प्रबोध सक्सेना, भरत खेड़ा, एम सुधा देवी, विवेक भाटिया, प्रदीप ठाकुर, रूपाली ठाकुर आदि अधिकारी भी बैठक में उपस्थित थे.
दिल्ली भेजा गया है विधेयक
राज्य सरकार ने सुखाश्रय योजना के लिए छह जुलाई को मानक संचालन प्रक्रिया अधिसूचित की थी तथा योजना के कार्यान्वयन की निगरानी का जिम्मा उपायुक्तों को जिला स्तर पर सौंपा गया है. इस बारे में बजट सत्र में सुखाश्रय बिल भी पारित किया गया है, लेकिन राजभवन ने इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय को दिल्ली भेज दिया है. यह फैसला विधि सचिव की सलाह पर ही लिया गया है. इसलिए यह योजना कानून के रूप में तभी लागू हो पाएगी, जब प्रेसिडेंट की मंजूरी आएगी.