नई दिल्ली. 69वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर भारत सरकार ने हिमाचल प्रदेश के येशी धोंडेन को पद्मश्री पुरस्कार से नवाज़ा है, जो इस वर्ष प्रदेश से ये पुरस्कार पाने वाले अकेले हिमाचली हैं. श्री धोंडेन को तिब्बती चिकित्सा शास्त्र के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान के लिए इस पुरस्कार लिए चुना गया.
श्री धोंडेन का जन्म 15 मई 1927 को तिब्बत के ल्होका में हुआ था. उनका परिवार परंपरागत तिब्बती चिकित्सा शास्त्र का बड़ा जानकार माना जाता था और 20 वर्ष की आयु तक ही उन्होंने तिब्बती चिकित्सा की अपनी पढाई पूरी कर ली थी. 1960 में उन्होंने मेन-त्सी-खांग, यानि ‘तिब्बती चिकित्सा और ज्योतिष संस्थान’ की स्थापना की, जिसके निदेशक और प्रधानाचार्य के पद पर वे 1979 तक थे. साथ ही साथ, 1960 से 1980 तक वे परम पूज्य दलाई लामा के निजी चिकित्सक भी रहे.
चिकित्सा में किया बड़ा योगदान
डॉक्टर की उपाधि से नवाज़े जा चुके येसी धोंडेन ने अपने वर्षों के अनुभव और प्रेक्टिस से साबित किया कि तिब्बती चिकित्सा के नुस्खे सुरक्षित होने के साथ साथ असरकारक भी थे. उन्होंने दुनियाभर में तिब्बती चिकित्सा पद्धति को लोकप्रिय बनाने का काम किया. कांगड़ा जिले के मैक्लोडगंज में क्लीनिक चलाने वाले डॉ येसी तिब्बती चिकित्सा के जरिये कैंसर जैसे असाध्य रोगों का सफल इलाज करने का दावा भी करते हैं.
दूर दराज से इलाज कराने आते हैं रोगी
डॉक्टर येसी का क्लीनिक सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में अपने चमत्कारिक नतीजों के लिए जाना जाता है. होटल मालिकों का कहना है कि कई लोग सिर्फ उनसे चिकित्सकीय परामर्श लेने के लिए मैक्लोडगंज आते हैं. एक्स-रे जैसी आधुनिक सुविधाओं का इस्तेमाल न करके वे परंपरागत तरीके से नाड़ी देखकर और रोगी की पेशाब के नमूने की जांच के ज़रिये रोग का अंदाजा लगते हैं और फिर जड़ी-बूटियों के माध्यम से इलाज करते हैं. पंचायत टाइम्स टीम की और से उन्हें पद्मश्री पाने के लिए हार्दिक बधाई.