नई दिल्ली: संसद का 19 दिवसीय शीतकालीन सत्र आज समाप्त हो गया। पहले लोकसभा और उसके बाद राज्यसभा को साइन डाई (अनिश्चितकाल) के लिए स्थगित कर दिया गया। सत्र के समापन पर दोनों सदनों के पीठासीन अधिकारियों ने कार्यवाही और उपलब्धियों का ब्यौरा पेश किया।
लोकसभा की कार्यवाही: 111% रही प्रोडक्टिविटी
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने अपने समापन संबोधन में बताया कि इस सत्र के दौरान सदन की उत्पादकता करीब 111% रही। उन्होंने कहा कि कुल 15 बैठकें आयोजित की गईं। अध्यक्ष ने सदन की सुचारु कार्यवाही के लिए सभी सांसदों का सहयोग के लिए आभार जताया।
राज्यसभा में 121% प्रोडक्टिविटी, 92 घंटे चली कार्यवाही
राज्यसभा के सभापति सीपी राधाकृष्णन ने बताया कि उच्च सदन ने करीब 92 घंटे तक कार्य किया और इसकी उत्पादकता 121% दर्ज की गई। उन्होंने कहा कि सत्र के दौरान 59 प्राइवेट मेंबर्स बिल पेश किए गए।
ऐतिहासिक और लोकतांत्रिक मुद्दों पर हुई अहम चर्चा
सभापति ने कहा कि यह सत्र उच्च गुणवत्ता वाली बहसों और चर्चाओं के लिए याद किया जाएगा। राज्यसभा में राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्’ की 150वीं वर्षगांठ पर विशेष चर्चा हुई, जिसमें 82 सांसदों ने हिस्सा लिया। चुनाव सुधार (Election Reforms) पर चर्चा के दौरान 57 सदस्यों ने लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करने को लेकर अपने सुझाव दिए।
हंगामे पर जताई चिंता
सीपी राधाकृष्णन ने सत्र के दौरान, खासकर कल की बैठक में विपक्षी सदस्यों द्वारा किए गए हंगामे पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने नारेबाजी, तख्तियां दिखाने, मंत्री के जवाब के दौरान बाधा डालने और कागज फाड़कर सदन के वेल में फेंकने जैसी घटनाओं को सांसदों के आचरण के अनुरूप नहीं बताया।
सदस्यों से आत्ममंथन की अपील
राज्यसभा सभापति ने उम्मीद जताई कि सांसद आत्ममंथन करेंगे और भविष्य में इस तरह के अमर्यादित व्यवहार की पुनरावृत्ति नहीं होगी।
